Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

कभी-कभी ऐसा लगता है

कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी वैसा लगता है
संशय, भय, दुविधा के मारे
बोलें क्या, कैसा लगता है।।
सूर्यकांत

205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
राम मंदिर निर्माण सपना साकार
राम मंदिर निर्माण सपना साकार
Sudhir srivastava
साधा तीखी नजरों का निशाना
साधा तीखी नजरों का निशाना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सजल
सजल
seema sharma
गुस्सा
गुस्सा
Sûrëkhâ
गुलाब
गुलाब
Shutisha Rajput
सृष्टि की रचना हैं
सृष्टि की रचना हैं
Ajit Kumar "Karn"
कदीमी याद
कदीमी याद
Sangeeta Beniwal
तेरी यादों का
तेरी यादों का
हिमांशु Kulshrestha
भूल सकते थे आपको हम भी ,
भूल सकते थे आपको हम भी ,
Dr fauzia Naseem shad
*रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है (हिंदी गजल)*
*रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
आ कान्हा तुझे तिलक लगाऊँ भजन अरविंद भारद्वाज
आ कान्हा तुझे तिलक लगाऊँ भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
16. *माँ! मुझे क्यों छोड़ गई*
16. *माँ! मुझे क्यों छोड़ गई*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
अधमी अंधकार ....
अधमी अंधकार ....
sushil sarna
कुछ कहना था - बिंदेश कुमार झा
कुछ कहना था - बिंदेश कुमार झा
Mr. Jha
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्लास्टिक प्रदूषण घातक है
प्लास्टिक प्रदूषण घातक है
Buddha Prakash
3369⚘ *पूर्णिका* ⚘
3369⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
........,!
........,!
शेखर सिंह
प्रेषित करें प्रणाम
प्रेषित करें प्रणाम
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आदिवासी होकर जीना सरल नहीं
आदिवासी होकर जीना सरल नहीं
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
Shweta Soni
"लहर"
Dr. Kishan tandon kranti
I’ve come to realize that I practice something I like to cal
I’ve come to realize that I practice something I like to cal
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय प्रभात*
दोहा
दोहा
Ankit Kumar Panchal
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
Pratibha Pandey
दोहे
दोहे
Rambali Mishra
वक्त एवम् किस्मत पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि द
वक्त एवम् किस्मत पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि द
ललकार भारद्वाज
Loading...