नारी को शून्य से परिभाषित कर…

नारी को शून्य से परिभाषित कर,
करते स्वयं पर जो अभिमान,
भूल गए वो गणित की भाषा,
कैसे शून्य बढ़ा देता हर संख्या का मान….
नारी को शून्य से परिभाषित कर,
करते स्वयं पर जो अभिमान,
भूल गए वो गणित की भाषा,
कैसे शून्य बढ़ा देता हर संख्या का मान….