झूठ बिकता रहा बाजार में ।

झूठ बिकता रहा बाजार में ।
सच न बिक सका उधार में ।
पर न रहा न-मुक़म्मिल ,
वो खुद्दारी के व्यापार में ।
..विवेक दुबे”निश्चल”@..
झूठ बिकता रहा बाजार में ।
सच न बिक सका उधार में ।
पर न रहा न-मुक़म्मिल ,
वो खुद्दारी के व्यापार में ।
..विवेक दुबे”निश्चल”@..