पर्वत, दरिया, पार करूँगा..!
ओ जोगी ध्यान से सुन अब तुझको मे बतलाता हूँ।
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
यू तो नजरे बिछा दी है मैंने मुहब्बत की राह पर
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
अन्तर्राष्टीय मज़दूर दिवस
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
कुदरत से मिलन , अद्धभुत मिलन।
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
कहू किया आइ रूसल छी , कोनो कि बात भ गेल की ?
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
जीवन है रंगमंच कलाकार हम सभी