आइना ही खराब होता है

आइना ही खराब होता है
झूठ जब बेनकाब होता है
जिस पे रब का अजाब होता है
उसका सब कुछ ख़राब होता है
झूठ कितने भी बोलते रहिए
सच का हर पल हिसाब होता है
उनके दुश्मन हजार होते हैं
जब गुलों पर शबाब होता है
ताज भी देर तक नहीं रहते
जुल्म का जब हिसाब होता है
शुक्र रब का, वो छोड़ देता है
जब सुकूँ बेहिसाब होता है
जिसकी कोशिश से राह रौशन हो
तब वो आली जनाब होता है
लाख तौबा करो मगर ‘अरशद’
हर खता का हिसाब होता है