*कड़वे भोजन को खाकर भी, जो निज मुस्कान न खोएगा (राधेश्यामी छ

कड़वे भोजन को खाकर भी, जो निज मुस्कान न खोएगा (राधेश्यामी छंद)
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कड़वे भोजन को खाकर भी, जो निज मुस्कान न खोएगा
वह कुशल एक अभिनेता है, जो नहीं कभी भी रोएगा
मत करो शिकायत बाणों की, जग से जो तुमने पाए हैं
सोचो किस तरकश के हैं वह, किस प्रत्यंचा से आए हैं
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प्रत्यंचा = धनुष की डोरी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451