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12 Dec 2024 · 1 min read

स्वर्णपरी🙏

प्रकृति सौंदर्य
🌿🌷🌺🌹🍀
स्वर्णपरी तूं स्वामिनी
कृति कीअनुपम रमणी
बड़ी उपहार धरती मां की
नियती सुंदर विधान तू हो

सृष्टि का संसार तुम्हीं हो
नव किसलय कोमल तन
जीवन ज्योत पुंजप्रभा हो
चन्द्रमौली सी गात है तेरा

सोने सी मुखड़ा निखरा
नग पर्वत पगड़ी सरिता
मधुर सरस बहती धारा
सुधा सबल भंडार तुम्हीं

हिरणी सी चाल है तेरा
सागर अथाह तुम्हीं हों
नयनों की चमकती तारा
जीवन का आधार तुम्हीं

प्राणी का संसार तुम्हीं हो
किलकारी की दामिनी हो
मन ऊर्जा की वाहिनीं तू
आंगन आनन मकराकृत

प्रांगण विस्तारणी तुम्हीं हो
हरी भरी रंगीन परिधानों में,
धरणी का मुस्कान तुम्हीं हो
प्रकृति रानीवाड़ा की मेंहदी

फलता फूलता जीव तुम्हीं
जन मानस का दिल तुम्हीं
मां भारती का अभिमान हो
स्वर्णपरी तू जग की पगड़ी

तपता सूरज शीतल चाँद
धूप छांव का पांव तुम्हारे
कृति वृति विहान तुम्हीं हो
जय जननी जय जय जननी॥

♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️

टी .पी .तरुण

Language: Hindi
43 Views
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
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