इश्क की राहों में इक दिन तो गुज़र कर देखिए।
कितनी लाज़वाब थी प्रस्तुति तेरी...
गरीबी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*प्रकृति के हम हैं मित्र*
एक छात्र जो जीवन में कभी अनुशासित नहीं रह पाया !
यही समय है, सही समय है, जाओ जाकर वोट करो
कितना आसान होता है किसी रिश्ते को बनाना
व्याकुल है मन,नम हैं नयन,
Love is a physical modern time.
मानवता-कल्याण-युत, मूल्यों का है मंत्र
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
मन हमेशा एक यात्रा में रहा