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18 Mar 2024 · 1 min read

प्रायश्चित

क्यूँ भूला है अपनी राह पथिक ?

मरीचिका के भ्रम में भटका हुआ ,
लालसा – वासना छद्म में अटका हुआ ,

तर्क को कुतर्क से नष्ट करता हुआ ,
कर्म को अधर्म से भ्रष्ट करता हुआ ,

सच्चरित्र को लांछित करता हुआ ,
शोषित को न्याय वंचित करता हुआ ,

चिंतनविहीन मनस में सुप्त होता हुआ ,
आत्मस्तुति एवं अहं में लिप्त होता हुआ ,

यथार्थ छोड़, कल्पित वारिद में
विचरण करता हुआ,
वाणी से विचारधारा को
संक्रमित करता हुआ ,

कुचक्र के मायाजाल में फंसता हुआ ,
पाप के दलदल में धंसता हुआ ,

समय रहते संज्ञान ले !
प्रायश्चित कर ! सत्य का कटुपान ले !

वरना ये पथ तुझे अधोगति ओर ले जाएगा ,
पाप के भंवर में डूबा तू कभी न उबर पाएगा।

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