*सुहाना सफ़र है ज़िंदगी*

कोई जंग नहीं है, सुहाना सफ़र है ज़िंदगी,
जन्नत नहीं है मगर जन्नत से कम भी नहीं है ज़िंदगी।
हर ख़ुशी के पीछे है कुछ ग़म की छांव यहां
फिर भी जीने की वजह ढूंढ़कर ख़ुश रहना है ज़िंदगी।
वक्त के साथ बदलती है राहें हर मोड़ पर,
बदलती राहों पर संभलकर चलना ही है ज़िंदगी।
आशाएं बहुत हैं, कभी टूटतीं भी हैं,
निराशा में भी आशा को ढूंढना ही है ज़िंदगी।
कभी कभी यादों के सहारे भी कट जाती है जो,
दुनिया के शोरगुल में एक मौन है ज़िंदगी।
तू चाहे जिस दिशा में हो, पर ध्यान रख,
मंज़िल तक पहुंचने का रास्ता है ज़िंदगी।
जो खो गया वो फिर कभी मिलेगा नहीं
फिर भी हर पल नया है, बस यही है ज़िंदगी।
बड़े सपनों की तरफ़ अपने छोटे कदम बढ़ाकर,
जहां हर मुश्किल पार कर मंज़िल मिले, यही है ज़िंदगी।
कभी मुश्किलें होती हैं और कभी राहत भी मिलती है,
फिर भी सफ़र चलता रहता है, बस यही है ज़िंदगी।
मंज़िल की राहों में खुद से एक अंतरंग
साक्षात्कार का एहसास है ज़िंदगी।