मिला क्या खूब चाहता
खूब चाहता उच्च हो, नाम, लिबास, मकान।
जीवन भर भटके फिरे, इधर-उधर इंसान।।
इधर-उधर इंसान, करे अति मारा-मारी।
रखे चाह वह खूब, लूटने दुनिया सारी।।
‘कौशल’ कफन लिबास, नाम स्वर्गीय बदलता।
हो मकान शमशान, मिला क्या खूब चाहता।।
खूब चाहता उच्च हो, नाम, लिबास, मकान।
जीवन भर भटके फिरे, इधर-उधर इंसान।।
इधर-उधर इंसान, करे अति मारा-मारी।
रखे चाह वह खूब, लूटने दुनिया सारी।।
‘कौशल’ कफन लिबास, नाम स्वर्गीय बदलता।
हो मकान शमशान, मिला क्या खूब चाहता।।