योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका

योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका
आगच्छन् वैनतेयोपि पदमेकं न गच्छति
अर्थात चींटी धीरे-धीरे चलकर
हज़ार योजन की यात्रा भी पूरी कर सकती हैं
लेकिन गरुड़ अपनी जगह से न हिले
तो वह एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता..
इसका मतलब हैं कि जीवन में हमेशा
गतिशील रहना चाहिए और निष्क्रिय
जीवन का परिणाम कभी अच्छा नहीं होता..!