कुंभ में मोनालिसा

आंखें देखी उसकी सबने ,देखें न सपने।
कौन समझाए उसको भेड़िए नहीं अपने।
बात थी आंखों की , लाखों आंखें बदन पर।
चेहरे देख ही मर मर गये सब उसके योवन पर।
मेहनत करने आयी थी ,कर दिया मशहूर
कौन समझाए दरिंदों को कितनी वो मजबूर
उसकी जगह ग़र अपनी बहन बेटी से हो ऐसा।
निकाल खंजर भागता मानस बता लगेगा कैसा।
भीख नहीं मांगने आई ,आई है वो बेचने तस्बीह
मोबाइल से फोटो ले ली , शर्म किरदार पर नहीं की।
कितनी सुरक्षित है यहां औरत और ये नारी
मर्द के कारण ही आज घरों में है चार दीवारी।
सुरिंदर