ढेरों अधूरे ख्वाब

ढेरों अधूरे ख्वाब
संजो कर रख लेता हूँ
हर रोज़ सिरहाने अपने
मुक्कमल नहीं हुए तो क्या…
कुछ ज्यादा ही
कीमत चुकाई है मैंने इनकी
हिमांशु Kulshrestha
ढेरों अधूरे ख्वाब
संजो कर रख लेता हूँ
हर रोज़ सिरहाने अपने
मुक्कमल नहीं हुए तो क्या…
कुछ ज्यादा ही
कीमत चुकाई है मैंने इनकी
हिमांशु Kulshrestha