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8 Mar 2025 · 12 min read

ट्रेन का सफर: उम्मीदों और इरादों की उलझी गुत्थी

अमन ट्रेन के सेकंड एसी डिब्बे में अपनी सीट पर बैठा खिड़की से बाहर भागते खेत-खलिहान देख रहा था। जिंदगी की उलझनों से जूझते हुए उसका मन अब तक हार मानने को तैयार नहीं था। उसके चेहरे की हल्की झुर्रियां और आंखों के नीचे के काले घेरे उसकी तकलीफों की कहानी बयां कर रहे थे, मगर उसकी मजबूत कद-काठी और सलीकेदार पहनावा उसे अभी भी 30 के आसपास का दिखाता था।

तभी सामने की सीट पर एक महिला आकर बैठी। उम्र करीब 38 के आसपास, चेहरे पर हल्का मेकअप, स्टाइलिश कपड़े और आंखों में एक अनकही चुभन। उन्होंने परिचय दिया—”मैं सिम्मी हूँ।”

अमन ने हल्की मुस्कान दी, “अमन।”

कुछ देर तक दोनों चुप रहे। ट्रेन सरपट दौड़ रही थी, और खामोशी के बीच सिम्मी ने खुद ही बातचीत शुरू कर दी।

“आप कहां जा रहे हैं?”

“बस, एक बिजनेस मीटिंग है।”

“अच्छा… आप बिजनेसमैन हैं?”

“कह सकता हूँ, लेकिन गलत फैसलों ने मुझे बहुत पीछे धकेल दिया। अब हालात संभालने की कोशिश कर रहा हूँ।”

सिम्मी ने गहरी सांस ली और हल्का हंसते हुए कहा, “लगता है, हम दोनों की जिंदगी कुछ ज्यादा ही उलझी हुई है।”

अमन ने जिज्ञासु निगाहों से उसकी तरफ देखा।

सिम्मी ने आगे कहा, “मुझे मेरे पति ने 15 साल तक नर्क में रखा। हर तरह से प्रताड़ित किया, लेकिन अब मैं आज़ाद हूँ। हां, उस दर्द के निशान कभी नहीं मिट सकते। अब मैं बस अपनी जिंदगी जीना चाहती हूँ… और उसे ये एहसास दिलाना चाहती हूँ कि उसने जिससे खेल खेला, वो अब खिलौना नहीं रही।”

अमन ने गौर से उसकी बात सुनी। वो जानता था कि सिम्मी जैसी आत्मनिर्भर औरत के पास पैसों की कोई कमी नहीं होगी।

दोनों के बीच अब खुलकर बातें होने लगीं। सिम्मी ने महसूस किया कि अमन जिंदगी के प्रति समझदार और भरोसेमंद इंसान लग रहा है। उसने ये भी भांप लिया कि अमन की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है।

अमन के मन में भी कुछ विचार आने लगे। सिम्मी के साथ की संभावनाएं उसे दिखने लगीं। हो सकता है, सिम्मी उसकी जिंदगी में आर्थिक स्थिरता ला सके, और बदले में वो सिम्मी के इरादों में उसका साथ दे।

सिर्फ दो घंटे में दोनों ने एक-दूसरे को अपने जीवन के सबसे गहरे राज बता दिए थे। लेकिन सफर अभी लंबा था—22 घंटे बाकी थे। और उनकी दो और सहयात्रियों की सीटें अभी भी खाली थीं…

अब देखना ये था कि आगे की यात्रा उनकी तकदीर को किस ओर मोड़ती है।

ट्रेन का सफर: उम्मीदों और इरादों की गुत्थी (भाग 2)

ट्रेन अपनी रफ़्तार से दौड़ रही थी, और खिड़की के बाहर अंधेरा घिरने लगा था। अमन और सिम्मी की बातचीत अब और गहरी हो चुकी थी। दोनों के मन में अपने-अपने मकसद थे, लेकिन उन्होंने अभी तक खुलकर कुछ नहीं कहा था।

रात का खाना और अनकही बातें

रात के खाने का वक्त हो गया था। ट्रेन के अटेंडेंट ने खाना सर्व किया। दोनों ने खाना लेना चाहा, लेकिन सिम्मी ने हल्की हंसी के साथ कहा,
“अगर आप बुरा न मानें, तो मैं कुछ शेयर करना चाहूंगी। मुझे बाहर का खाना कम पसंद है, मैंने घर से कुछ खास बनाया है।”

अमन ने मुस्कुराते हुए हामी भर दी।

सिम्मी ने बैग से टिफिन निकाला, जिसमें सुगंधित पुलाव और कुछ खास स्नैक्स थे। अमन को खाना खाने के दौरान एहसास हुआ कि सिम्मी अकेली महिला जरूर थी, लेकिन उसने अपनी जिंदगी को जीने का तरीका नहीं छोड़ा था।

बातों-बातों में सिम्मी ने एक नया खुलासा किया।
“मुझे अपनी ज़िंदगी में मज़ा चाहिए, लेकिन उससे भी ज्यादा मुझे अपने एक्स-हसबैंड से बदला लेना है। उसे ये दिखाना है कि मैं उसके बिना और भी बेहतर हूँ। और शायद, उसे पछताना भी पड़े।”

अमन उसकी आंखों की गहरी चमक को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। उसने महसूस किया कि सिम्मी का इरादा सिर्फ खुद को खुश करना नहीं, बल्कि अपने पूर्व पति को नीचा दिखाने का भी था।

ट्रेन का सफर: उम्मीदों और इरादों की गुत्थी (भाग 2)

रात धीरे-धीरे गहरी हो रही थी। ट्रेन अपनी गति से आगे बढ़ रही थी, और अमन व सिम्मी की बातचीत भी अब और स्पष्ट होने लगी थी। सिम्मी अब अपने मकसद को छुपाने के मूड में नहीं थी, और अमन के सामने खुलकर बोल रही थी।

“मैं अब अपनी जिंदगी सिर्फ जीना नहीं चाहती, उसे महसूस करना चाहती हूँ, उसे संवारना चाहती हूँ। और उससे भी ज्यादा, मुझे अपने एक्स-हसबैंड से बदला लेना है। मैं उसे ये दिखाना चाहती हूँ कि उसके बिना मेरी जिंदगी और भी शानदार हो सकती है,” सिम्मी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

अमन ने उसकी आंखों में देखा। वहाँ दर्द था, मगर साथ ही एक अलग तरह की चमक भी थी—जोश और जुनून की। अमन ने अब तक बहुत कुछ खो दिया था, गलत फैसलों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था। लेकिन अब, सिम्मी के साथ उसकी मुलाकात ने उसे एक नई उम्मीद दी थी।

“कैसा बदला लेना चाहती हो?” अमन ने पूछा।

सिम्मी कुछ पल चुप रही, फिर बोली, “मैं उसे हर उस चीज़ में पीछे छोड़ना चाहती हूँ, जिसमें वो सोचता था कि मैं असफल हूँ—पैसा, सोशल स्टेटस, लाइफस्टाइल, और रिलेशनशिप। और मैं चाहती हूँ कि ये सब उसके सामने हो, ताकि उसे एहसास हो कि उसने जो कुछ भी किया, उसका असली परिणाम क्या है।”

अमन ने महसूस किया कि सिम्मी न केवल एक सशक्त महिला थी, बल्कि वह अपनी तकलीफ को अपनी ताकत में बदलने के लिए तैयार थी।

“और मैं?” अमन ने हल्के से पूछा।

सिम्मी ने उसकी तरफ देखा, “तुम समझदार हो, भरोसेमंद लगते हो, और हाँ… शायद तुम्हारी जरूरत भी है। तुम अपने हालात से निकलना चाहते हो, और मुझे ऐसे किसी की जरूरत है जो मेरे प्लान में मेरा साथ दे सके। हम एक-दूसरे के लिए परफेक्ट पार्टनर बन सकते हैं—तुम्हें आर्थिक स्थिरता मिलेगी, और मुझे एक मजबूत सहारा जो मेरे इरादों को पूरा करने में मदद करे।”

अमन ने इस प्रस्ताव पर गौर किया। उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं था, और सिम्मी के साथ यह नई शुरुआत उसके लिए एक अवसर हो सकता था।

“तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारे लिए सही इंसान हूँ?” अमन ने मुस्कुराकर पूछा।

सिम्मी ने हल्की हंसी के साथ कहा, “ट्रेन का सफर तो अभी बाकी है। देखते हैं, तुम कितने भरोसेमंद साबित होते हो।”

ट्रेन की गूंजती हुई आवाज़ के बीच, उन दोनों ने एक अनकहा समझौता कर लिया था। 20 घंटे की यात्रा अभी बाकी थी, और शायद उनकी ज़िंदगी का एक नया सफर शुरू होने ही वाला था।

ट्रेन का सफर: जुनून, साजिश और इंतकाम

रात और गहरी हो चुकी थी। ट्रेन अपने सफर पर थी, मगर अमन और सिम्मी के भीतर कुछ और ही हलचल मची हुई थी। अब तक की बातचीत से दोनों एक-दूसरे के इरादों को समझ चुके थे। सिम्मी बदला चाहती थी, और अमन को एक मजबूत सहारा चाहिए था।

लेकिन अब मामला सिर्फ बदला लेने तक सीमित नहीं था। सिम्मी ने धीरे-धीरे अमन के कानों में वो बात कह दी, जो शायद उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला होने वाला था।

“मुझे सिर्फ अपने एक्स को पछताने पर मजबूर नहीं करना, उसे इस दुनिया से मिटाना है।”

अमन के हाथ रुक गए। उसने सिम्मी की तरफ देखा। सिम्मी के चेहरे पर कोई डर नहीं था, सिर्फ एक ठंडा, परिपक्व फैसला।

“क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”

अमन कुछ सेकंड के लिए चुप रहा। वो जानता था कि अब बात सिर्फ खेल या बिजनेस तक सीमित नहीं थी। ये क्राइम था, और अगर वो इसमें फंस गया, तो शायद निकल नहीं पाएगा। लेकिन फिर उसने सोचा—अगर सिम्मी के पास पैसा है, और अगर वो उसे सपोर्ट कर सकती है, तो शायद ये एक मौका हो सकता है।

“कैसे करना चाहती हो?” अमन ने आखिरकार पूछा।

सिम्मी मुस्कुराई। “मैं सब प्लान कर चुकी हूँ। उसकी आदतें, उसका डेली रूटीन, उसकी कमजोरियां—सब जानती हूँ। बस मुझे किसी ऐसे इंसान की जरूरत है जो मेरे साथ खड़ा रहे। और बदले में, तुम्हें वो सब मिलेगा जो तुम चाहते हो—एक नई जिंदगी, पैसा, और एक पार्टनर जो तुम्हारा हर कदम पर साथ देगा।”

अमन के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। वो अब तक जो भी सोच रहा था, उससे कहीं आगे की चीज उसके सामने थी।

इंतिमन और जुनून का खेल

रात का सन्नाटा और ट्रेन की हल्की-हल्की हिलोरें माहौल को और रोमांचक बना रही थीं। सिम्मी ने धीरे से अमन का हाथ थामा।

“मैं जानती हूँ, तुम मुझसे सवाल कर रहे हो। लेकिन मैं तुम्हें यकीन दिलाती हूँ, मैं जो भी करती हूँ, पूरे होश में करती हूँ। और जब मैं कुछ चाहती हूँ, तो उसे हासिल करके ही रहती हूँ।”

अमन उसकी आँखों में देखता रहा। वो खुद नहीं समझ पाया कि कब उसने अपने संकोच को किनारे रख दिया और सिम्मी के करीब आ गया। ट्रेन की हलचल के बीच, उनकी सांसें एक-दूसरे में घुलने लगीं। एक नया रिश्ता बन रहा था—शारीरिक आकर्षण से कहीं ज्यादा, यह एक डील थी, एक समझौता।

“तुम्हें मुझ पर भरोसा है?” सिम्मी ने पूछा।

“अब शायद खुद से ज्यादा,” अमन ने जवाब दिया।

ट्रेन की वो रात सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, वो एक नए अध्याय की शुरुआत थी। एक ऐसा अध्याय, जहाँ जुनून, लालसा और बदले की आग ने दो ज़िंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया था।

(अगला कदम: हत्या की योजना और अंजाम…)

ट्रेन का सफर: जुनून, साजिश और इंतकाम (भाग 3)

रात के गहरे अंधेरे में ट्रेन सरपट दौड़ रही थी, लेकिन अमन और सिम्मी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। अमन अब पूरी तरह सिम्मी के जाल में फंस चुका था, या शायद उसने खुद को फंसने दिया था।

“कब और कैसे?” अमन ने धीमे स्वर में पूछा।

सिम्मी ने मुस्कुरा कर कहा, “बस, तुम्हें सही वक्त पर सही जगह मौजूद रहना है। बाक़ी सब मैं संभाल लूंगी।”

अमन समझ गया कि यह सिर्फ एक हत्याकांड नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति थी।

प्लान का खुलासा
सिम्मी ने बताया कि उसका पूर्व पति, अजय, एक बड़ा बिजनेसमैन था। लेकिन जितना बड़ा उसका बैंक बैलेंस था, उतना ही नीच उसका व्यवहार। शराब, हिंसा और महिलाओं का शौकीन, अजय ने सिम्मी की जिंदगी नर्क बना दी थी।

लेकिन अब, उसके पास एक मौका था—अजय को हमेशा के लिए खत्म करने का।

“मैंने उसके ड्राइवर और कुछ कर्मचारियों से उसकी दिनचर्या का पूरा हिसाब ले लिया है,” सिम्मी ने बताया। “हर गुरुवार वो अपने फार्महाउस पर अकेले शराब पीता है। उसके बाद, उसे होश नहीं रहता। यही हमारा मौका होगा।”

अमन ने सिर हिलाया। “लेकिन किसी को शक नहीं होना चाहिए। हमें यह एक्सीडेंट जैसा दिखाना होगा।”

सिम्मी ने उसकी तरफ देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “इसीलिए तुम मेरे साथ हो, अमन। तुम स्मार्ट हो। मुझे पता था कि तुम इस प्लान को सही अंजाम दे सकते हो।”

अगली रात: मौत का खेल
ट्रेन अगले दिन अपने गंतव्य पर पहुँच गई। अमन और सिम्मी अब ट्रेन के सहयात्री नहीं, बल्कि साजिश के साथी बन चुके थे।

रात होते ही वे दोनों अजय के फार्महाउस की ओर बढ़े। अंधेरा घिर चुका था, और पूरा इलाका सुनसान था।

अजय अपने कमरे में बेहोश पड़ा था—शराब की बोतलें बिखरी हुई थीं।

“अब?” अमन ने पूछा।

सिम्मी ने अमन को एक काले दस्ताने पहनाए और एक इंजेक्शन पकड़ाया। “इसमें धीमा जहर है। मौत का कारण दिल का दौरा लगेगा। कोई इसे हत्या नहीं समझेगा।”

अमन ने इंजेक्शन उठाया और कुछ सेकंड तक सोचा। यह उसकी जिंदगी का सबसे खतरनाक कदम था। लेकिन फिर उसने सिम्मी को देखा—उसकी आँखों में जुनून और बदले की आग थी।

एक गहरी सांस लेकर, उसने अजय की गर्दन में इंजेक्शन लगा दिया।

कुछ मिनटों में ही अजय की सांसें थम गईं।

काम खत्म हो चुका था।

सिम्मी ने गहरी सांस ली और अमन को गले लगा लिया। “अब हम आज़ाद हैं।”

नया सफर, नई शुरुआत?
अगले दिन, खबर आई—”बिजनेसमैन अजय की हार्ट अटैक से मौत!”

कोई शक नहीं कर रहा था। प्लान सफल हो गया था।

सिम्मी अब पूरी तरह आज़ाद थी, और अमन को भी अब कोई आर्थिक चिंता नहीं थी। सिम्मी ने वादा किया था कि वो उसे जिंदगी भर सपोर्ट करेगी।

लेकिन क्या अमन को सच में उसकी ज़रूरत थी?

या अब वह खुद ही इतना समझदार हो चुका था कि अपने रास्ते अलग बना सके?

ट्रेन के उस सफर ने दो अजनबियों को एक-दूसरे की किस्मत से जोड़ दिया था। लेकिन क्या यह गठबंधन हमेशा के लिए रहेगा? या फिर एक नई साजिश जन्म लेगी?

(समाप्त… या शायद नहीं!)
ट्रेन का सफर: जुनून, साजिश और इंतकाम (भाग 4 – नया खेल)
अजय की मौत के बाद सिम्मी पूरी तरह आज़ाद थी। उसके चेहरे पर पहली बार सुकून झलक रहा था। अमन के लिए भी यह एक नई शुरुआत थी—अब उसके पास पैसा भी था और एक ताकतवर औरत का साथ भी।

लेकिन क्या यह कहानी यहीं खत्म हो जाती?

नहीं… कहानी अब शुरू हुई थी।

अचानक बदलते समीकरण
अजय की मौत को एक हफ्ता बीत चुका था। सिम्मी ने अपने एक्स-हसबैंड की संपत्ति, बैंक बैलेंस और बिजनेस का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया था। उसने अमन से वादा किया था कि वो उसे आर्थिक रूप से सेटल करने में मदद करेगी।

लेकिन अमन को महसूस होने लगा कि सिम्मी अब बदल रही थी।

अजय की मौत के बाद, सिम्मी में एक अलग ही आत्मविश्वास आ गया था—वो अब और ताकतवर, और चालाक हो गई थी। उसने अमन से धीरे-धीरे दूरी बनानी शुरू कर दी।

अमन को लगने लगा कि उसने जो किया, उसका पूरा फायदा सिर्फ सिम्मी उठा रही थी।

“हमने ये साथ में किया था, सिम्मी। मैं भी इसमें शामिल था,” अमन ने एक दिन उससे कहा।

सिम्मी मुस्कुराई, लेकिन उसकी आँखों में अब वही पुरानी चालाकी थी। “अमन, मैंने तुमसे जो वादा किया था, वो निभाऊँगी। लेकिन तुम्हें धैर्य रखना होगा।”

अमन को एहसास हुआ कि सिम्मी अब धीरे-धीरे उसे किनारे लगाने की तैयारी में थी।

एक नया खेल… या फिर धोखा?
एक रात, अमन अपने फ्लैट में बैठा शराब पी रहा था। उसने टीवी ऑन किया तो एक खबर चल रही थी—

“पुलिस ने अजय की मौत के मामले को दोबारा खोल दिया है। नए सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि ये महज़ हार्ट अटैक नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी हत्या थी!”

अमन के हाथ से ग्लास छूट गया।

“नए सबूत? लेकिन कैसे?”

उसका दिमाग तेज़ी से काम करने लगा। इसका सिर्फ एक ही मतलब हो सकता था—सिम्मी ने उसे फँसाने का पूरा इंतज़ाम कर लिया था।

अमन की चाल
अमन अब चुप नहीं बैठ सकता था। उसने तुरंत अपना फोन उठाया और सिम्मी को कॉल किया।

“हमें मिलना होगा। अभी।”

सिम्मी ने थोड़ी झिझक के बाद उसे अपने बंगले पर बुलाया।

रात के अंधेरे में अमन वहाँ पहुँचा। सिम्मी एक वाइन ग्लास हाथ में लिए उसका इंतज़ार कर रही थी।

“क्या हुआ, अमन? तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो?” सिम्मी ने मुस्कुराते हुए पूछा।

“पुलिस केस दोबारा खोल चुकी है, और मुझे पूरा यकीन है कि तुमने ही सबूत दिए हैं।”

सिम्मी ने गहरी सांस ली और धीरे से कहा, “अमन, तुम्हें समझना चाहिए कि मैं अब इस खेल में अकेली हूँ। मुझे किसी और की जरूरत नहीं।”

अमन को अब पूरा यकीन हो गया—सिम्मी उसे सिर्फ इस्तेमाल कर रही थी।

लेकिन अमन भी इतना आसान निशाना नहीं था।

अंतिम चाल – कौन मरेगा?
अमन धीरे-धीरे सिम्मी के करीब गया और उसके हाथ से वाइन ग्लास ले लिया।

“अभी भी वक्त है, सिम्मी। मुझे धोखा मत दो,” अमन ने कहा।

लेकिन सिम्मी ने सिर्फ हंसी। “इस खेल में हमेशा एक ही विजेता होता है, अमन। और वो मैं हूँ।”

अमन ने गहरी सांस ली और वाइन का एक घूँट लिया। फिर मुस्कुराते हुए बोला, “तुम सच कह रही हो, सिम्मी। इस खेल में सिर्फ एक ही विजेता होता है।”

सिम्मी ने अचरज से उसे देखा।

अचानक, उसकी आँखों में अजीब सी घबराहट आ गई।

“तुमने… तुमने क्या किया?” सिम्मी ने घबराकर अपने गले को पकड़ लिया।

अमन ने शांत आवाज़ में कहा, “तुम्हारी चालाकी देखकर मैंने पहले ही प्लान बना लिया था, सिम्मी। इस बार, मैंने खेल को अपने तरीके से खेला है। जो जहर तुमने मुझे देने की सोची थी, वो अब तुम्हारी ही वाइन में था।”

सिम्मी ज़मीन पर गिर पड़ी। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और कुछ ही मिनटों में वो हमेशा के लिए शांत हो गई।

अमन ने उसकी तरफ देखा, और बिना कोई पछतावा किए वहाँ से निकल पड़ा।

अमन की जीत या एक नई शुरुआत?
सुबह की पहली किरण के साथ, अमन एक नई जिंदगी की ओर बढ़ रहा था। उसने इस खेल में सब कुछ सीखा था—भरोसा सिर्फ खुद पर करना चाहिए, और अगर तुम किसी के लिए मोहरा बनते हो, तो वक्त आने पर राजा भी बन सकते हो।

अब उसकी जेब में सिम्मी की दौलत थी, और उसका नाम किसी भी पुलिस रिपोर्ट में नहीं था।

वो मुस्कुराया और एक ट्रेन की टिकट बुक कर ली—क्योंकि हर नई कहानी की शुरुआत एक सफर से ही होती है।

(समाप्त… या शायद एक और सफर की शुरुआत?)

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