सालासर हनुमान भजन रचनाकार अरविंद भारद्वाज

सालासर हनुमान
हे बजरंगी हनुमान मैं, सालासर हूँ आया
दर्शन दो मुझ पापी को तुम, ढूँढ नहीं मैं पाया
जीवन भर मैंने पाप कमाया,दो नम्बर की कमाई
झूठ बोलकर सबको लूटा, हुई न मुझको समाई
मात-पिता परिजन को मैनें,हर पल खूब सताया
दर्शन दो मुझ पापी को तुम,ढूँढ नहीं मैं पाया
लोभ और लालच कभी न छोड़ा,शर्म मुझे न आई
दीन-दुखी के भाग की मैंने, खाई गाढ़ी कमाई
अपनों ने मुझे त्याग दिया,मुझको गद्दार बताया
दर्शन दो मुझ पापी को तुम,ढूँढ नहीं मैं पाया
मन से बाबा बहुत दुखी हूँ, पीड़ा तन मेरे आई
लिख अरविन्द ने भजन तेरा, युक्ति है मुझे बताई
अजर अमर अविनाशी का दर,मुक्ति मार्ग बताया
दर्शन दो मुझ पापी को तुम,ढूँढ नहीं मैं पाया
©अरविन्द भारद्वाज