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20 Feb 2024 · 1 min read

फूल

राष्ट्रहित सु नेक बन।
दिव्य ज्ञान -टेक बन।
भारत -उद्यान के,
फूल हॅंसें एक बन।

नेहरूप चूल हूॅं।
आनंदी मूल हूॅं।
जागरण सु तूल बन,
हॅंसूं, क्यों कि फूल हूॅं।

दोपहर की धूल में,
पड़ा दूॅं,सुख-चूल मैं।
गम न तुझको रौंद दो।
पैर तुम तो फूल मैं।

द्वंद्वमय जग-डाल पर।
चेत कंटक ख्याल कर।
फूलिए, सुबोधी बन।
फूल -सम हर हाल पर।

पं बृजेश कुमार नायक

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Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
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