कवि बृजेश नायक द्वारा रचित काव्य संग्रह “जागा हिंदुस्तान चाहिए” में मूलतः राष्ट्रीय विचारधारा का उद्घोष है। इस कृति को तीन खण्डों में विभाजित किया गया है। प्रथम खंड – राष्ट्र चेतना ज्ञान से अभिहित है। द्वितीय खंड – सजग व्यंग के बाण से परिभाषित है। संग्रह के तृतीय खंड में विविध रंगी रचनाओं का समावेश किया गया है। तृतीय खंड में बालोपयोगी, नीतिपरक रचनाएँ एवं भजनों की विधा को सम्मिलित करके कवि ने अपने बहुआयामी लेखन को प्रस्तुत किया है। देखिए इस कृति (“जागा हिन्दुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण) के पृष्ठ संख्या 26 से ली गई एक रचना की कुछ पंक्तियां….
जाग्रत हिंदुस्तान चाहिए, जाग्रत हिंदुस्तान चाहिए।
मानव-मन के मल को धोने वाला पावन ज्ञान चाहिए।
गोदी में भूखा रोता है,भारत माॅं का अंश विकल है।
दीन,विवश, बलहीन बंधुओं पर भारी शोषण औ छल है।
गली,राजपथ, चौराहों पर लक्ष्यहीन नर भ्रमित चित्त -सा,
कैसे बोलें राष्ट्र सबल, जब चेतहीन मदकंस प्रबल है।
मार भगा दे जो दुर्गुणमय तिमिर दीप -सा ध्यान चाहिए।
जाग्रत हिंदुस्तान चाहिए,………
👉 कृति की श्रेष्ठता के आधार पर रचनाकार को प्राप्त सम्मान 👇
1✓”साहित्य गौरव 2015″ द्वारा JMD publication Delhi
2✓”विद्यावाचस्पति सारस्वत सम्मान 2018″ द्वारा बिक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ बिहार
👉संस्करण
1✓प्रथम संस्करण 2013, ISBN:978- 93-82340-13-3
2✓द्वितीय संस्करण 2020, ISBN:978-93-89100-66-2
“यह कृति (“जागा हिन्दुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण) अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है”
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