जिंदगी के सफर में अकेले चले ,

जिंदगी के सफर में अकेले चले ,
काफिलों को बनाना बड़ी बात है ।
रुपया पैसा तो केवल जरूरत है पर ,
साथ अपनों का होना बड़ी बात है ।
बादल बरसे नहीं बरसों से जहां ,
वहां प्यासी है धरती , बनी रेत है ।
रेत बंजर है पर हौसले हैं बुलंद ,
उस पर फूलों का खिलना बड़ी बात है ।
कठपुतली के धागों सी हैं जिंदगी ,
जिंदगी उलझी हुई उन धागों में है ।
खेल चलता है , चलता रहेगा मगर
धागों का सुलझना बड़ी बात है ।
किस धुन में चली रीत संसार की ?
बात होती हैं रिश्तों में व्यापार की ,
रिश्ता बेशक ना हो एक दूजे से पर
दिलों को जोड़े रखना बड़ी बात है ।
यूं तो मिलते हैं महबूब हर मोड पर ,
मोड मुड़ते ही राही बदल जाते हैं ।
थाम तो हाथ ले कोई भी मगर ,
साथ जीवन भर निभाना बड़ी बात है ।
मंजू सागर
गाजियाबाद