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27 Jan 2024 · 1 min read

मैं हूं वही तुम्हारा मोहन

मैं हूं वही तुम्हारा मोहन

तुम मुझको भूले बैठे हो, कैसे तुमको याद दिलाऊँ।
मैं हूं वही तुम्हारा मोहन, पर कैसे विश्वास दिलाऊँ।

कृष्ण कृष्ण तुम जब कहते हो, मैं दौड़ा दौड़ा आता हूं।
लेकिन अमृतपान कराने, में खुद को असफल पाता हूं।
आँख मूंदकर बैठे हो तुम, कैसे आकर प्यास बुझाऊँ।
मैं हूं वही तुम्हारा मोहन, पर कैसे विश्वास दिलाऊँ।

साथ तुम्हारा पाने को मैं, हर पल ही तत्पर रहता हूं
मूरत बन बैठे बैठे ही, इंतजार करता रहता हूं।
मीत सुदामा सा यदि पाऊँ, तो पग धोने दौड़ा आऊँ।
मैं हूं वही तुम्हारा मोहन, पर कैसे विश्वास दिलाऊँ।

तुम मुझको छलिया कहते हो, खुद मुझको छलने आते हो।
भक्ति भाव तो बस नाटक है, तुम सौदा करने आते हो।
राधा जैसा करो समर्पण, तो मैं आकर रास रचाऊँ।
मैं हूं वही तुम्हारा मोहन, पर कैसे विश्वास दिलाऊँ।

.श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद

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