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18 May 2024 · 1 min read

विरक्ती

क्या करे जीवन संचार – वह रक्त जो विरक्त हो,
किस आस पर टिके संसार – रीढ़ ही न सशक्त हो,
विरक्ति का अर्थ विपरीत , संघर्षरत सार
विरक्त आत्मा घुटने टेक , माने असमय हार II

जीवन के परिपेक्ष्य में, मोक्ष का चाहे अनुपम द्वार –
सशक्त ही जो विरक्त हो, कौन करे फिर बेड़ा पार ?
संघर्षरत मोहित ही कर पाएंगे ज्ञान की उष्मा का संचार
विरक्त जो गया हर जीव – कहाँ जीवन, कहाँ संसार ?

क्या धरे जीवन आधार – वह मनुज जो विरक्त हो,
जिस नींव पर टिका व्यवहार -भाव तो सशक्त हो!
विरक्ति नहीं मोहभंग हो, जूझ कर तम कर पराजित
न फ़ेंक अस्त्र , न त्याग शस्त्र, हो पराक्रम से सुस्सजितII

Language: Hindi
119 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
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