खामोशी में जलती एक दिया
खामोशी में जलती एक दिया……
मंद- मंद मुस्काता एक दिया,
अंधकार में जलती एक दिया,
टिम -टिम कर खयालात के
तेल से सीचा एक दिया……
दिया में छिपे कई अफसाने,
अनकहे जज्बातों के तहखाने,
खामोशी एक अदभुत चीख …
तूफान आने का सन्नाटा ….
ये वो आग है ,जो जलती भीतर,
पर बाहर केवल राख ही राख ।
खामोशी एक बुलन्द शोर ,
दिल के अरमानों में दबा सुकून ,
एहसासों में गूंजती चुप्पी ,
ख्वाब में छिपा इसका जुनून ,
सुकून और बेचैनी जलती एक दिया।
दबी खामोशी में एहसास छिपा,
जैसे बादलों में चाँद छिपा,
रात्रि के अंधकार के बाद,
सुबह के उजरीया की लौह,
देर सही, पर दुरुस्त मंद मुस्काता,
खामोशी में जलती एक दिया ।