Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2024 · 3 min read

मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)

नारी से ही नर है।
नर से नारायण ।
सीता मां को हरण कर।
ले गया जब रावण।
मां सीता पतिव्रता धर्मपरायण।
इस सृष्टि की नारी की आदर्श है मां सीता।
श्रेय, प्रिय मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की चहेता।
देती है नारी जीवन भर अग्नि परीक्षा।
लोक विदित निंदा लांछन छोड़ती न उनकी पीछा।
मां सीता ने लगाए नही कभी विरोध के स्वर।
पति को उन्होंने माना सदैव ही परमेश्वर।
राम जी ने सुनकर अपने प्रजाओ की मंत्रणा।
लोकहित में सीता को अपने और राज्य से दूर होने की कर दिया घोषणा।
लक्ष्मण जी छोड़ आए उन्हे निर्जन अरण्य में।
महर्षि वाल्मीकि मिले उस वीराने प्रांगण में।
देख बेबसी एक स्त्री की।
बना लिया उनको खुद की पुत्री।
दो तनय हुए मां सीता के उस विपिन में।
अश्वमेध यज्ञ में बंध अश्व को।
किया अहंकार चूर बड़े बड़े वीरों का।
रिपुसुदन,लक्ष्मण, भरत मूर्छा खा गए।
तमतामाते हुए अंत में खुद श्री राम आ गए।
हे छोटे बालक ये अश्व न खेलने की चीज है।
बोले लव कुश फिर उनसे।
खुद आप एक स्त्री की गरिमा से खेल गए।
बांध दिया था जिनको लाने के लिए समुद्र पर सेतु।
मारे थे निशाचर खर, दूषण, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ आदि राहु केतु।
फिर छोड़ा मां सीता को किस हेतु।
हो त्रिकालदर्शी मां सीता को कहते प्रियदर्शिनी।
फिर क्यों बना दिया उनको अयोध्या नगर में प्रदर्शनी।
ज्यों चढ़ा कर प्रत्यंचा पर बाण।
लव कुश पर छोड़ने गए।
तत्काल वहां ब्रह्मर्षि वाल्मीकि जी आ गए।
देख उस मुनि को किया श्री राम ने जोहार।
वाल्मीकि जी ने उनसे किया गुहार।
छोटे बच्चों के ऊपर हे प्रभु आप न करे प्रहार।
क्षमा कर दें इन्हे हे करुणाकर।
देख तेज उन दोनो बालको का।
श्री राम जी ने न्योता दिया अपने दरबार में आने का।
जाकर जब बताया नाम मूर्छित करने वाले योद्धाओं का।
सुनकर मां सीता के चक्षु से।
बाढ़ आ गई अश्रुओ का।
अंत में बताया वो सब थे तुम्हारे चाचा।
खुद ते राम हे अभागे तुम्हारे पिता।
सुनकर लवकुश भी खुद पर पछतानें लगे।
अयोध्या जाने का ख्वाब सजाने लगे।
पहुंचे लवकुश अयोध्या हाथ में लेकर वीणा।
सुनाने लगे भरे दरबार में एक विरहिनी की पीड़ा।
बोले हम ही सूत प्रभु आपके।
होते तो करते इस भवन में क्रीड़ा।
शब्द सुनते ही ये कलेजे को बेंध गए।
कौशल्या,सुमित्रा, कैकेयी माताओं को कुरेंध गए।
देख स्तब्ध हुए लखन, शत्रुघ्न, भरत, राम जी।
मंत्री सुमंत्र, गुरु वशिष्ठ खुद बैठे जनक जी।
भावुक होकर जाकर श्री राम ने अपने सूत गले लगा लिया।
मां सीता फिर से बनेंगी अवध की रानी।
आने को उनको आमंत्रण दे दिया।
हुए एकत्र सारे अवध के प्रजाजन।
आई मां सीता वल्कल वस्त्र में महर्षि वाल्मीकि के संग।
प्रजा ने एक बार फिर उनके चरित्र भी उंगली उठाया।
सुन मां सीता के अस्मिता को ठेस पहुंचाया।
कहा फिर उन्होंने एक वाच्य सभी प्रजाजन अवध राजाराम के सामने।
अगर मैंने दिल से रूह से आत्मा से किया हो केवल अपने पति का आचमन।
देखा न हो कभी किसी पराए पुरुष के सामने।
तो फट जाए ये धरा।
ले खुद में मुझे समा।
तो मानूं मैं की निर्दोष सिद्ध किया आपने।
फट पड़ी धरा उसी क्षण।
मां सीता को ली गोंद में बिठा।
खड़ा सभी प्रजाजन खुद श्री राम देखते रह गए।
विरह में मां सीता के वनवासी रो पड़े।
लौटा दो हे धरती मां मेरी सीता को।
नही तो ये धरती सृष्टि उलट पलट कर रख दूंगा।
आखिर सृष्टि की मर्यादा को न वो तोड़ सके।
भटकती रही एक स्त्री सारा जीवन।
रावण भी न छुआ था मां सीता को कभी भी जबरन।
रावण भी एक प्रबल था ज्योतिष दर्शन।
महाकाल भक्त के रूप में आज भी जीवंत है दशानन ।
जीते जी न कोई स्त्री के मान को समझ सका।
स्त्री ही मां, बहन, बहु, बेटी, दादी का ही पाती है दर्जा।
इनके बिना खाली धरती की रौनक और सौंदर्यता।

Rj Anand Prajapati

Language: Hindi
1 Like · 264 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कौन किसका...
कौन किसका...
TAMANNA BILASPURI
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सच के आईने में
सच के आईने में
मधुसूदन गौतम
--> पुण्य भूमि भारत <--
--> पुण्य भूमि भारत <--
Ankit Halke jha
3361.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3361.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मुस्कुराकर बात करने वाले
मुस्कुराकर बात करने वाले
Chitra Bisht
आज सुरक्षित नही बेटियाँ, अत्याचार जारी है।
आज सुरक्षित नही बेटियाँ, अत्याचार जारी है।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
मौज  कर हर रोज कर
मौज कर हर रोज कर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुबह-सुबह की लालिमा
सुबह-सुबह की लालिमा
Neeraj Kumar Agarwal
एक दीप तो जलता ही है
एक दीप तो जलता ही है
कुमार अविनाश 'केसर'
फागुन होली
फागुन होली
Khaimsingh Saini
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
सफ़र में आशियाना चाहता है
सफ़र में आशियाना चाहता है
Kanchan Gupta
*मैं शायर बदनाम*
*मैं शायर बदनाम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
झूठ रहा है जीत
झूठ रहा है जीत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
यादें तुम्हारी... याद है हमें ..
यादें तुम्हारी... याद है हमें ..
पं अंजू पांडेय अश्रु
“समझा करो”
“समझा करो”
ओसमणी साहू 'ओश'
जब आप जीवन में सफलता  पा लेते  है या
जब आप जीवन में सफलता पा लेते है या
पूर्वार्थ
काश!
काश!
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मशीनों ने इंसान को जन्म दिया है
मशीनों ने इंसान को जन्म दिया है
Bindesh kumar jha
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
रख हौंसला की वो पल भी आयेगा
रख हौंसला की वो पल भी आयेगा
Pramila sultan
दीप तुम हो तो मैं भी बाती हूं।
दीप तुम हो तो मैं भी बाती हूं।
सत्य कुमार प्रेमी
महुआ फूल की गाथा
महुआ फूल की गाथा
GOVIND UIKEY
आओ!
आओ!
गुमनाम 'बाबा'
" अपना होना चाहिए "
Dr. Kishan tandon kranti
चलो आज कुछ बात करते है
चलो आज कुछ बात करते है
Rituraj shivem verma
मिजाज मेरे गांव की....
मिजाज मेरे गांव की....
Awadhesh Kumar Singh
Loading...