कुण्डलिया

कुण्डलिया
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होली की महिमा बड़ी, खूब लीजिए जान।
पुत जाते मुखड़े सभी, बढ़ जाती पहचान।
बढ़ जाती पहचान, सभी हैं रंग लगाते।
और सभी के बीच, सहज हो घुल-मिल जाते।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, स्नेह की बोलें बोली।
पीला नीला लाल, केसरी उत्सव होली।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य