मेरा कहा / मुसाफिर बैठा
आगरा में राजाई दिनों की
प्रेम को एक अनूठी पहचान देती अनोखी इमारत, ताज़महल है,
इमारत राजा द्वारा बनाई गई है तो
सैकड़ों मजदूरों के लाखों घंटे के शोषित श्रम भी इसकी दरों दीवारों में जरूर अवशोषित होंगे
मशहूर पेठा भी है आगरे का
पागलखाना के लिए भी जाना जाता रहा है यह शहर
जो अब कहीं और शिफ्ट हो गया है
’सुनो ब्राह्मण’ ओज के दलित कवि मलखान सिंह भी यहीं रहा करते थे
आगरे को यदि एक चीज के लिए ही
याद करने को आप मुझे कहेंगे
तो उसे मैं
मलखान सिंह का शहर होने के लिए ही
याद करूंगा
सुना मित्रो
मैंने क्या कहा!