Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

पेंसिल बॉक्स

भरा हो कितना भी ज्ञान दिमाग़ में ,
सब बेकार ग़र पेंसिल बॉक्स ना हो बस्ते में ।
दुनिया को काग़ज़ पर उतार देते पेंसिल और प्रोटेक्टर ,
सारी ग़लतियाँ सुधार देता नम्र रबर ।
पेंसिल-रबर-शार्पनर सब मिलकर रहते,
इक दूसरे के गुण उजागर करते ।
होता पेंसिल बॉक्स परिवार समान ,
हर सदस्य का होता महत्वपूर्ण स्थान ।
नहीं होता इसमें कोई छोटा-बड़ा ,
ज़रूरत पड़ने पर हर कोई रहता साथ खड़ा ।
जब तक रहते साथ इक दूसरे की ताक़त बनते,
होते ही जुदा अपना अस्तित्व खोते ।
खुलते ही पेंसिल बॉक्स आँखों में चमक आती,
रखी उसमें हर चीज़ हमारे अंक बढ़ाती ।
पेंसिल बॉक्स बिना होता है ऐसे विद्यार्थी ,
जैसे युद्ध भूमि में हो योद्धा बिन सारथी ।
दिलाता ये बचपन की याद ,
हर महीने नए पेंसिल बॉक्स की करते थे फ़रियाद ।
बस्ते में सबसे अनमोल ख़ज़ाना यही है होता ,
इस बिन कोई भी बच्चा विद्यालय न जाता ।
होते चकित अध्यापक देख हमारी कलाकारी ,
जब हम करते इस्तेमाल पेंसिल बॉक्स की चीजें सारी।
हर विद्यार्थी करता इसका मान ,
देने हुए शुरू जीवन में इस से ही इम्तिहान।

इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित

Language: Hindi
2 Likes · 58 Views
Books from Indu Nandal
View all

You may also like these posts

सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
The intimacy of sleeping together, but not in a sexual way.
The intimacy of sleeping together, but not in a sexual way.
पूर्वार्थ
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
Nitesh Kumar Srivastava
జయ శ్రీ రామ...
జయ శ్రీ రామ...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सत्य साधना
सत्य साधना
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
नि:स्तब्धता
नि:स्तब्धता
Meera Thakur
*कुछ भी नया नहीं*
*कुछ भी नया नहीं*
Acharya Shilak Ram
अहाॅं बाजू नै बाजू पैर बजै पेजनियाॅं
अहाॅं बाजू नै बाजू पैर बजै पेजनियाॅं
उमा झा
रूपमाला (मदन ) छंद विधान सउदाहरण
रूपमाला (मदन ) छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
Ajit Kumar "Karn"
महबूबा
महबूबा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"आँखें"
Dr. Kishan tandon kranti
औरो को देखने की ज़रूरत
औरो को देखने की ज़रूरत
Dr fauzia Naseem shad
*जय माँ झंडेया वाली*
*जय माँ झंडेया वाली*
Poonam Matia
धरती के भगवान
धरती के भगवान
Rambali Mishra
अग्नि परीक्षा सहने की एक सीमा थी
अग्नि परीक्षा सहने की एक सीमा थी
Shweta Soni
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
इशरत हिदायत ख़ान
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
- रिश्ते व रिश्तेदारों से हारा हु -
- रिश्ते व रिश्तेदारों से हारा हु -
bharat gehlot
विश्व शांति स्थापना में भारत की भूमिका
विश्व शांति स्थापना में भारत की भूमिका
Sudhir srivastava
മയിൽപ്പീലി-
മയിൽപ്പീലി-
Heera S
नजरिया
नजरिया
Mahender Singh
आज़ के रिश्ते.........
आज़ के रिश्ते.........
Sonam Puneet Dubey
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
वो ही
वो ही
Ruchi Sharma
*Tapestry of Life*
*Tapestry of Life*
Veneeta Narula
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
Ravi Prakash
3125.*पूर्णिका*
3125.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
Loading...