Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2024 · 4 min read

*सरल संगीतमय भागवत-कथा*

सरल संगीतमय भागवत-कथा
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
आज दिनांक 25 दिसंबर 2024 बुधवार को मंदिर बगिया जोखीराम , रामपुर में श्री राजेंद्र प्रसाद पांडेय जी (प्रतापगढ़ वालों) के श्रीमुख से भागवत कथा श्रवण करने का पुण्य प्राप्त हुआ। भागवत में वर्णित महान संतों, ऋषियों और भक्तों के जीवन के प्रेरक प्रसंग आपने श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत किये ।महाराज श्री जहॉं एक ओर भागवत के मर्मज्ञ हैं, वहीं रामचरितमानस के आधार पर प्रभावशाली ढंग से राम कथा के उत्सव में भी व्यास पीठ पर शोभायमान होते रहे हैं। इसका लाभ यह हुआ कि भागवत के प्रसंग में आपने स्थान-स्थान पर रामचरितमानस की चौपाइयां श्रोताओं के सम्मुख साधिकार प्रस्तुत कीं। आपके साथ वाद्ययंत्र लिए हुए एक टीम थी। अतः संगीत का मधुर वातावरण भी बन गया।

आज की कथा में आपने राजा पृथु के सद्गुणों के वर्णन से अपनी बात कही। बताया कि राजा पृथु के पिता राजा बेन एक घमंडी राजा थे। राजा बेन का अहंकार इतना बढ़ चुका था कि वह यज्ञ में स्वाहा की आहुति भी अपने नाम पर बेन स्वाहा करवाने के इच्छुक थे। इस संदर्भ में आपने बताया कि पिता के आचरण से पुत्र का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। अहंकारी राजा के घर में भी सात्विक वृत्ति का महान पुत्र जन्म ले सकता है। ऐसा पुत्र जो पृथु कहलाए और भगवान के अवतारों में जिसकी गणना हुई।

भागवत के साथ-साथ आपने पुरंजन की कथा भी श्रोताओं को सुनाई। कहा कि यह वही कथा है जो कभी नारद मुनि ने युधिष्ठिर की सभा में सुनाई थी। कथा का सार यह है कि पुरंजन अपनी पत्नी पुरंजनी के मोह में इतना ग्रस्त हो गया कि पुरंजनी की मृत्यु के बाद भी वह उसी को याद करता रहा और अंत में स्त्री की योनि को प्राप्त हुआ।

जिस भाव में व्यक्ति अंतिम समय में श्वास लेता है, वह उसी भाव को प्राप्त होता है। पंडित राजेंद्र प्रसाद पांडे जी ने श्रोताओं को समझाया, अतः अंतिम सांस तक अपने जीवन को भगवान के भजन में लगाना ही श्रेयस्कर है। राजर्षि भरत का उदाहरण आपने दिया। सारा जीवन राजर्षि भरत ने भगवान के भजन में लगा दिया लेकिन अंतिम समय में उन्हें एक हिरन से लगाव हो गया। बस फिर क्या था! राजर्षि भरत मृत्यु के उपरांत हिरण की योनि को प्राप्त हुए, क्योंकि जैसी आसक्ति अंतकाल में होती है: वैसा ही फल प्राप्त होता है।

कथा में रोचकता और मनोरंजन का प्रवेश करते हुए महाराज श्री ने सुंदर संगीतमय कंठ से श्रोताओं को सुनाया:

माइ डियर डियर/माइ डियर डियर

मेरा हिरण हिरण– इस कथन में डियर का अर्थ प्रिय भी होता है और डियर का अर्थ हिरण भी होता है। श्रोता ‘माइ डियर डियर’ सुनकर आनंदित हुए।

कविवर पथिक जी की एक कविता भी आपने संगीत की धुन पर सुनाई। इसके बोल थे-

मनुज गलती का पुतला है, जो अक्सर हो ही जाती है/ जो करले ठीक गलती को उसे इंसान कहते हैं।

भागवत के श्लोकों के साथ-साथ सरल हिंदी खड़ी बोली में गीत-संगीत के माध्यम से कुछ अच्छे संदेश दे पाने की आपकी युक्ति बहुत सफल रही। श्रोताओं ने निश्चित रूप से इसे पसंद किया।

केहि विधि स्तुति करूं तुम्हारी*-* यह भी एक संगीत रचना है, जो हिंदी में आपने प्रस्तुत की।

कथा के क्रम में आपने कश्यप ऋषि की दो पत्नियों दिति और अदिति का उल्लेख किया। दिति के गर्भ से हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यपु – राक्षसी वृत्ति के दो बालक उत्पन्न हुए। जिसका अर्थ है की अच्छे व्यक्तियों के घर में भी बुरी संताने उत्पन्न हो जाती हैं। वहीं दूसरी ओर महाराज श्री ने कथा में यह भी बताया कि हिरण्यकश्यपु की पत्नी कयाधु भगवान का भजन करती थी तथा उसने युक्ति पूर्वक हिरण्यकश्यपु द्वारा राम नाम का उच्चारण करते हुए अपनी संतान प्रहलाद को जन्म दिया। जो सबसे बड़ा भक्त कहलाया। इस तरह दुर्जन के घर में सज्जन और सज्जन के घर में दुर्जन का जन्म सनातन समय से चला रहा अपवाद है। कथा में आपने भगवान के नरसिंह अवतार का वर्णन भी किया। खंभे में से प्रकट होकर भगवान ने प्रहलाद को बचाते हुए हिरण्यकश्यपु का वध किया और इस प्रकार वह राक्षस जो महाबलशाली था और जिसने अपनी तपस्या से एक प्रकार से कभी भी किसी से भी न मारे जाने का वरदान प्राप्त कर लिया था ;अपनी दुष्ट प्रवृत्ति के कारण भगवान के द्वारा मारा गया।

कथा के मध्य में रामचरितमानस में वर्णित नवधा भक्ति प्रसंग को महाराज श्री ने गा-गाकर प्रस्तुत किया। नौ प्रकार की भक्ति तुलसीदास जी ने बताई है। एक-एक करके वह सभी प्रकार की भक्ति भागवत कथा के मध्य व्यास-पीठ पर विराजमान महाराज जी के श्रीमुख से श्रोताओं ने आस्था पूर्वक श्रवण करके भक्ति रस-धारा में स्नान किया।

कथा के अंत में रामपुर में अग्रवाल धर्मशाला में दैनिक सत्संग के अभूतपूर्व आयोजन के संचालन कर्ता श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ द्वारा महाराज श्री के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया गया।
कथा के आयोजक श्री जय नारायण जी द्वारा अधिक से अधिक महानुभावों द्वारा कथा में पधार कर धर्म लाभ प्राप्त करने की अपील की गई। जय नारायण जी के पुत्र एवं पुत्रवधू मुख्य यजमान के रूप में कथा में पूरे समय विराजमान रहे।
कथा स्थल पर जूते-चप्पल सुरक्षित ढंग से थैली में रखने के लिए पादुका सेवा कुछ बंधु हो अत्यंत मनोयोग से संचालित कर रहे थे।
कथा के आयोजन से जुड़े सभी महानुभावों को तथा तिलक कॉलोनी के निवासियों को विशेष रूप से साधुवाद।
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल/व्हाट्सएप 9997615451

24 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

आतिश पसन्द लोग
आतिश पसन्द लोग
Shivkumar Bilagrami
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
मर्यादा है उत्तम
मर्यादा है उत्तम
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
प्रेरणा
प्रेरणा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
पूर्वार्थ
इंतिज़ार
इंतिज़ार
Shyam Sundar Subramanian
प्रीति की राह पर बढ़ चले जो कदम।
प्रीति की राह पर बढ़ चले जो कदम।
surenderpal vaidya
*****सबके मन मे राम *****
*****सबके मन मे राम *****
Kavita Chouhan
“मित्रों की निष्ठुरता”
“मित्रों की निष्ठुरता”
DrLakshman Jha Parimal
अगर तुम कहो
अगर तुम कहो
Akash Agam
2886.*पूर्णिका*
2886.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* अंदरूनी शक्ति ही सब कुछ *
* अंदरूनी शक्ति ही सब कुछ *
Vaishaligoel
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
Sanjay ' शून्य'
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
निंदा और निंदक,प्रशंसा और प्रशंसक से कई गुना बेहतर है क्योंक
निंदा और निंदक,प्रशंसा और प्रशंसक से कई गुना बेहतर है क्योंक
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम आ न सके
तुम आ न सके
Ghanshyam Poddar
माँ को फिक्र बेटे की,
माँ को फिक्र बेटे की,
Harminder Kaur
*फिर से जागे अग्रसेन का, अग्रोहा का सपना (मुक्तक)*
*फिर से जागे अग्रसेन का, अग्रोहा का सपना (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अब बात हमसे करना नहीं
अब बात हमसे करना नहीं
gurudeenverma198
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
मानसून
मानसून
Dr Archana Gupta
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
sushil sarna
🙅पता चल गया?🙅
🙅पता चल गया?🙅
*प्रणय*
संगीत विहीन
संगीत विहीन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
माँ का आशीर्वाद पकयें
माँ का आशीर्वाद पकयें
Pratibha Pandey
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
Sudhir srivastava
बरबादी के साल हवे ई
बरबादी के साल हवे ई
आकाश महेशपुरी
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
Indu Singh
दुःखद चुटकला। joke
दुःखद चुटकला। joke
Priya princess panwar
Loading...