सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सब कुछ खोजने के करीब पहुंच गया इंसान बस
आँधियों से क्या गिला .....
आज का दिन थोड़ा और आगे बढ़ गया उसकी यादों से,,,,
"इस्तिफ़सार" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जब हम अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाकर अपनी कमजोरियों को प्रबंधित कर
*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
*** मेरा पहरेदार......!!! ***
परो को खोल उड़ने को कहा था तुमसे
Temple of Raam
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
मंजिल-ए-मोहब्बत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"