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9 Dec 2024 · 1 min read

माई, ओ मेरी माई री

माई, ओ मेरी माई री।- (2)
मैं छोड़ चली, तेरा आंगण री।।
सँग पिया के, होकर विदा।
मैं छोड़ चली, तेरा साथ री।।
माई, ओ मेरी———————।।

लाड़ लड़ाया मुझको, गोद में तुमने।
लगाकर रखा मुझको, सीने से तुमने।।
मेहंदी हाँथों में, पिया की रचाकर।
मैं छोड़ चली, तेरा आँचल री।।
माई, ओ मेरी—————-।।

लगी चोट मुझको तो, रोई बहुत तू।
मेरी खुशियों के लिए, जी है सदा तू।।
और आज तुमसे, लेकर विदाई।
मैं छोड़ चली, तेरा हाथ री।।
माई, ओ मेरी—————।।

बाबुल तेरी छोड़कर, यह नगरिया।
और छोड़कर मैं अपनी सहेलियां।।
बचपन के अपने खिलौनें- गुड़िया।
मैं छोड़ चली, लेकर याद री।।
माई, ओ मेरी————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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