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31 May 2024 · 1 min read

दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए

दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए
यही बहुत है जिंदगी जीने के लिए
ये दौलतें ये शोहरतें ये महफिले है तेरी
सुकून देंगी नहीं सदा तुझे जीने के लिए

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