Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2024 · 1 min read

“मरे हुए लोग”

“मरे हुए लोग”

यहाँ बहुत हैं मरे हुए लोग,
लाशें नहीं गिन पाओगे तुम।

2 Likes · 2 Comments · 41 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

राह के कंकड़ अंधेरे धुंध सब छटती रहे।
राह के कंकड़ अंधेरे धुंध सब छटती रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
11. O Rumour !
11. O Rumour !
Ahtesham Ahmad
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
प्यार कर रहा हूँ  . . . .
प्यार कर रहा हूँ . . . .
sushil sarna
अकेलापन
अकेलापन
Rambali Mishra
कुण्डलिया
कुण्डलिया
अवध किशोर 'अवधू'
तेरी यादों के किस्से
तेरी यादों के किस्से
विशाल शुक्ल
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
4404.*पूर्णिका*
4404.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
Pramila sultan
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
पूर्वार्थ
लहर तो जीवन में होती हैं
लहर तो जीवन में होती हैं
Neeraj Agarwal
आदमी और धर्म / मुसाफ़िर बैठा
आदमी और धर्म / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
पंकज परिंदा
"हाल ए ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
राम
राम
Madhuri mahakash
मेरी जिंदगी सजा दे
मेरी जिंदगी सजा दे
Basant Bhagawan Roy
മുളകൊണ്ടുള്ള കാട്ടിൽ
മുളകൊണ്ടുള്ള കാട്ടിൽ
Otteri Selvakumar
जल्दी आओ राम सिया रो रही
जल्दी आओ राम सिया रो रही
Baldev Chauhan
यूं कीमतें भी चुकानी पड़ती है दोस्तों,
यूं कीमतें भी चुकानी पड़ती है दोस्तों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खुद का साथ
खुद का साथ
Vivek Pandey
"इन्तजार"
Dr. Kishan tandon kranti
मेहमान
मेहमान
meenu yadav
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
Sudhir srivastava
जन्मदिन
जन्मदिन
Sanjay ' शून्य'
उत्तराखंड के बाद अब दहकने लगे दुनियां के फेफड़े
उत्तराखंड के बाद अब दहकने लगे दुनियां के फेफड़े
Rakshita Bora
दोनों की सोच का मरकज़ तो एक है
दोनों की सोच का मरकज़ तो एक है
Dr fauzia Naseem shad
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
DrLakshman Jha Parimal
Loading...