*धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन*
विनाश की कगार पर खड़ा मानव
तुम पढ़ो नहीं मेरी रचना मैं गीत कोई लिख जाऊंगा !
मतदान करो और देश गढ़ों!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
मौसम को मत छेड़िए , दहकेगी फिर अग्नि ।
दिल करता है कि मैं इक गज़ल बन जाऊं और तुम मुझे गुनगुनाओ,
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बेटी
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
गीत- वही रहना मुनासिब है...
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
मां की अभिलाषा
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
अगर मैं गलत हूं तो सही कौन है,अगर तू सही है तो गलत कौन है
ज़िंदगी सौंप दी है यूं हमने तेरे हवाले,