*मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)*
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
*गैरों सी! रह गई है यादें*
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
- भूतकाल में जिसने मुझे ठुकराया वर्तमान में मेरी देख सफलता दौड़ी दौड़ी आ गई -
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
पसंद उसे कीजिए जो आप में परिवर्तन लाये क्योंकि प्रभावित तो म
प्रणय पुलक
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
मातृभूमि पर तू अपना सर्वस्व वार दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
जो हो चुका है वो हो चुका है,जो होना है वो होना है,जो हो रहा
स्कूली शिक्षा: ऊँची फीस, गिरती गुणवत्ता
हुस्न छलक जाता है ........