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20 Apr 2024 · 1 min read

कब तक

कब तक
हम ढोंग करते रहेंगे
स्वयं को मर्यादित साबित करने का
हर रोज हर पल
हम मर्यादा के खोल में
अमर्यादित कार्यों को अंजाम देते हैं
कभी सरे आम
कभी अंधेरों में
तो कभी रिश्तों की आढ़ में
हम

मर्यादा की हदों का उल्लंघन करते हैं
वर्तमान सभ्यता ने
मर्यादा की समस्त वर्जनाओं को
तोड़ डाला है
कभी सर पर चुन्नी
लाज का प्रतीक मानी जाती थी
तन प्रदर्शन को भोंडापन कहा जाता था
बड़ों का मान
सभ्य एवं सुसंस्कृत होने की निशानी थी
आज सब कुछ उलट हो गया है
तन का प्रदर्शन,बड़ों की अवहेलना
अमर्यादित प्रेम प्रदर्शन
क्या यही है वर्तमान की देन
आज की पीढ़ी को
आने वाले कल की कल्पना मात्र से
अजीब से सिहरन होती है
कहीं हम मर्यादा के खोल में
अमर्यादित आदि युग की तरफ़ तो नहीं जा रहे
ऐसे उच्छृंखल जीवन को रोकना होगा
हमें मर्यादित करना होगा
जीवन क्रम को
आने वाले कल के लिए

सुशील सरना

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