बहारो की मालकिन हो तुम
बहारो की मालकिन हो तुम,
सितारों की रोशनी हो तुम,
मेरे जीवन के बगिया की
खुशनुमा कली हो तुम,
मेरे मन मंदिर में
बस तस्वीर तुम्हारा है,
तुम्हारी मुस्कुराहट ही
प्रसाद हमारा है,
ना आने दूंगा एक भी गम
तुम्हारे जीवन में,
दूर कही भेज दूंगा
उन्हें चितवन में,
हर गम तेरे जीवन से
कोसो दूर मैं ले जाऊंगा,
खुशियों से दुनियां
तेरी मै महकाऊंगा,
ये मत समझना की
कोई अहसान हमारा है,
बस सारा जीवन
तुम पर वारा है,
दीप जलाऊंगा चारो तरफ
बीच में बिठाऊंगा तुम्हे,
फिर पूजा करूंगा तुम्हारी
देवी बनाऊंगा तुम्हे,
मेरे हृदय पटल पर
बस अक्स तुम्हारा है,
चमका दो मेरी किस्मत का तारा
बस यही अरदास हमारा है।
विकास शुक्ल