Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2021 · 1 min read

काला पानी

काला पानी

आज़ादी का धान करूँ तो, केवल दिखती एक कहानी !
केवल सम्मुख शोणित की, वर्षा केवल दिखता काला पानी !!

केवल वीरों की हुकार, केवल भारत की पुकार !
केवल रण में चलती थी, लोहित को दुधार !!

जिसके तन में तेज भरा वो, कभी नहीं निर्बल होगा वो !
केवल समर में चलने को, साहस का संबल होगा !!

जो नहीं कभी मृत्यु से डरकर, प्राण बचाया करता है !
पत्थर की प्रतिमा पुरूष में, प्राण फूंक कर भरता है !!

केवल माँ पर चढ़ा लाहु को, माँ का कर्ज उतारूंगा !
मरकर भी सदा जगत में कालजयी कह लाऊंगा !!

निज शोणित की धार सदा, मृत्यु के पास बहने दूँगा !
चल रहे हैं खण्ड के वारधरा पर, वो अपने पर चलने दूँगा !!

लड़ रहे हैं वीर निज धर्मभूमि पर, आज़ादी लाने को !
कोटि कंठ से एक स्वरों में गौरव गान सुनाने को !!

बलिवेदी पर चढ़ा शीश में धरती के कष्ट हरूँगा !
बून्द-बून्द अपने शोणित की न्यौछावर कर दूंगा !!

निज के लिए तो क्या जीना, में धरती के लिए जिऊँगा !
काल पुरूष के हाथों से ही काला नीर पीऊँगा !!

अमर नहीं होता नर जग में मरना उसे पड़ता हैं !
बेझिझक धर्म के लिए समर में लड़ना उसे पड़ता है !!

शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
बागोड़ा जालोर-343032
(कवि, लेखक और विश्लेषक)
मोबाइल नम्बर-8239360667

Language: Hindi
549 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

.......
.......
शेखर सिंह
मिले बिना ही बिछड़ने का दर्द दे गए हो तुम
मिले बिना ही बिछड़ने का दर्द दे गए हो तुम"
शिवम "सहज"
अकेले चलना है मुश्किल ,मुझे अपना बना लो तुम !
अकेले चलना है मुश्किल ,मुझे अपना बना लो तुम !
DrLakshman Jha Parimal
उम्मीद
उम्मीद
NAVNEET SINGH
छिपकर हमला करते शेखी बघारते हो
छिपकर हमला करते शेखी बघारते हो
Ramji Tiwari
फुरसत
फुरसत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
खग-संदेश
खग-संदेश
manorath maharaj
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
....बहू बनाम बेटी...
....बहू बनाम बेटी...
rubichetanshukla 781
किताब
किताब
Neeraj Kumar Agarwal
बेगाना वक्त
बेगाना वक्त
RAMESH Kumar
#आध्यात्मिक_रचना-
#आध्यात्मिक_रचना-
*प्रणय प्रभात*
कानून अंधा है
कानून अंधा है
Indu Singh
डर
डर
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
"ये जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
नव वर्ष हमारे आए हैं
नव वर्ष हमारे आए हैं
Er.Navaneet R Shandily
*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
“मिजाज़-ए-ओश”
“मिजाज़-ए-ओश”
ओसमणी साहू 'ओश'
सोचा जिनका आज से,कभी न लूँगा नाम
सोचा जिनका आज से,कभी न लूँगा नाम
RAMESH SHARMA
नूतन बर्ष अभिनंदन
नूतन बर्ष अभिनंदन
Ravindra Sharma
वर्तमान
वर्तमान
Shyam Sundar Subramanian
अभी तो कुछ बाकी है
अभी तो कुछ बाकी है
Meera Thakur
4693.*पूर्णिका*
4693.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
पूर्वार्थ
काम चले ना
काम चले ना
ललकार भारद्वाज
शहर तुम गांव को चलो
शहर तुम गांव को चलो
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*नानी के आशीष*
*नानी के आशीष*
ABHA PANDEY
बापू- तेरी लाडली
बापू- तेरी लाडली
meenu yadav
दिल चाहता है रो लूं जरा थोड़ा छुप कर.
दिल चाहता है रो लूं जरा थोड़ा छुप कर.
Pappu Kumar Shetty
Loading...