कैसे कह दूँ….? नींद चैन की सोने दो…!
कैसे कह दूँ….? नींद चैन की सोने दो…!
ज़िम्मेदारी का यह बोझा……., ढोने दो..!
फस्ल मोहब्बत की, दिल में लहराएगी…!
कुछ अल्फ़ाज मुझे बस इसमें बोने दो…!
इक दूजे को पाना ही.., बस इश्क़ नहीं..!
पहली शर्त कि खुद को खुद में खोने दो!!
इतिहासों में नाम अमर, कुछ राँझों के…!
रोको मत.., मशहूर मुझे भी.., होने दो…!
मरहम मेरे दिल के घावों की.., हो तुम…!
रख कर सिर कंधे पर…, जी भर रोने दो।
ज़ीस्त पहेली है अनसुलझी.., मेरी भी…!
थोड़ा थोड़ा ही बेशक…, हल होने दो….!
जाने कितने पाप हुए….? अंजाने में…..!
गंगाजल से हाथ मुझे भी…, धोने दो….!!
पंकज शर्मा “परिंदा”🕊