*मृत्यु : पॉंच दोहे*
मृत्यु : पॉंच दोहे
_________________________
(1)
किसे पता रहना यहाँ, किसको कितने साल।
कौन जिएगा सौ बरस, किसकी मृत्यु अकाल।।
(2)
किसे पता मरना कहाँ, लेना अन्तिम श्वास।
जगह न जाने कौन-सी, बने मृत्यु का ग्रास।।
(3)
सौ-सौ कमजोरी बसी, सौ-सौ तन में रोग।
जीना है यदि वर्ष सौ, भोगों को कम भोग।।
(4)
मृत्यु बहाने सौ बना, घर कर गई प्रवेश।
सदियों से यह चल रहा, बदला मात्र न लेश।।
(5)
पता नहीं क्यों मर रहे, पैदा होते लोग।
इस जीवन-संसार का, जाने क्या उपयोग।।
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451