Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 1 min read

घाव

घाव
बहुत अद्भुत हो तुम
बचपन में मिले
जब भी हम तेज भागे
दौड़े बेतहाशा
खोकर होश
परंतु
भर गए कुछ ही दिनों में
वे घाव
अब पता भी नहीं चलता
कि
कभी चोटिल हुआ था मैं
समय बीता
फिर एक दौर आया
किशोर हुआ
अब भी तुम आए
मेरे जीवन में अनायास
धीरे-धीरे न जाने
कब और कैसे
मेरे मन के पल्लव घरौंदा
बन गए
एक अलौकिक सौंदर्य का
मानवता की प्रतिमूरत था जो
और था मेरे
प्रत्येक स्पंदन का आधार
सांसों के तार
उसी से होते थे अर्थवान
उसी से सजाते वीणा पर स्वर
न जाने कब और कैसे हुआ
वह जीवन का आधार
हे मेरे !अलौकिक आलोक
दिव्या और पारलौकिक
कभी दूर न होना मुझसे
अन्यथा
वे घाव कभी न होंगे ठीक
सभी घावों की दवा हो सकती है
परंतु हे सनातन सौंदर्य
घाव जो तुम दोगे
उसके कोई हल न होंगे
उसके कोई उपाय न होंगे।

1 Like · 149 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all

You may also like these posts

भक्ति- निधि
भक्ति- निधि
Dr. Upasana Pandey
किसी को किसी से फ़र्क नहीं पड़ता है
किसी को किसी से फ़र्क नहीं पड़ता है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नंगापन (कुण्डलियां छंद-) Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
नंगापन (कुण्डलियां छंद-) Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
Vijay kumar Pandey
* कुछ सीख*
* कुछ सीख*
Vaishaligoel
.....
.....
शेखर सिंह
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
VINOD CHAUHAN
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे...
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे...
Ajit Kumar "Karn"
**रक्षा सूत्र का प्रण**
**रक्षा सूत्र का प्रण**
Dr Mukesh 'Aseemit'
Some times....
Some times....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
निराकार परब्रह्म
निराकार परब्रह्म
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
जज़्बातों का खेल
जज़्बातों का खेल
ललकार भारद्वाज
बेरंग
बेरंग
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
इस जग में है प्रीत की,
इस जग में है प्रीत की,
sushil sarna
दशरथ ने पहाड़ तोड़ा.. सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ तोड़ रहे धर्म का बंधन
दशरथ ने पहाड़ तोड़ा.. सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ तोड़ रहे धर्म का बंधन
The World News
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
Subhash Singhai
कभी जीत कभी हार
कभी जीत कभी हार
Meenakshi Bhatnagar
3456🌷 *पूर्णिका* 🌷
3456🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
सियासी मुद्दों पर आए दिन भाड़ सा मुंह फाड़ने वाले धर्म के स्वय
सियासी मुद्दों पर आए दिन भाड़ सा मुंह फाड़ने वाले धर्म के स्वय
*प्रणय प्रभात*
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
Rituraj shivem verma
बुंदेली दोहा - दुगइ (दालान)
बुंदेली दोहा - दुगइ (दालान)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गीत- कभी क़िस्मत अगर रूठे...
गीत- कभी क़िस्मत अगर रूठे...
आर.एस. 'प्रीतम'
*सुंदर लाल इंटर कॉलेज में विद्यार्थी जीवन*
*सुंदर लाल इंटर कॉलेज में विद्यार्थी जीवन*
Ravi Prakash
मत कर गीरबो
मत कर गीरबो
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
59...
59...
sushil yadav
rain down abundantly.
rain down abundantly.
Monika Arora
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
"गौरतलब "
Dr. Kishan tandon kranti
पेड़ सी सादगी दे दो और झुकने का हुनर डालियों से।
पेड़ सी सादगी दे दो और झुकने का हुनर डालियों से।
Madhu Gupta "अपराजिता"
गैर वतन में रहकर तुम चाहे लाखों कमा लोगे ।
गैर वतन में रहकर तुम चाहे लाखों कमा लोगे ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...