* बाँझ न समझो उस अबला को *
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ہونٹ جلتے ہیں مسکرانے میں
भूगोल के हिसाब से दुनिया गोल हो सकती है,
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
नस-नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
चंचल मन पर काबू पा लेना बहुत बड़ी सी बात है,
हिन्दी दोहा-पत्नी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें
भजन (बाबा भीमराव अम्बेडकर) ) (23)
*मन में शुचिता लेकर पूजो, विद्या की देवी माता को (राधेश्यामी