दर्द से खुद को बेखबर करते ।
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
राम नाम हिय राख के, लायें मन विश्वास।
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आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठ
शायरी - गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा - संदीप ठाकुर
अम्माँ मेरी संसृति - क्षितिज हमारे बाबूजी
आप चुन लीजिए अपने आकाश को, तो सितारे भी हिस्से में आ जाएंगे