Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2024 · 3 min read

करवा चौथ का चांद

एकांकी शीर्षक: “करवा चौथ का चाँद”

पात्र:

1. मधु – पति, थोड़ा व्यंग्यात्मक और मजाकिया स्वभाव का।

2. सौम्या – पत्नी, करवा चौथ का व्रत रख रही है, गंभीर पर मजाक का जवाब भी देती है।

दृश्य:
(रसोई घर का दृश्य, सौम्या सजी-धजी है, हाथ में छलनी पकड़ी हुई है और आसमान में चाँद का इंतजार कर रही है। मधु हॉल में टीवी देख रहा है। सौम्या की हल्की थकी हुई आवाज सुनाई देती है।)

सौम्या (चिड़चिड़ाते हुए):
“मधु, चाँद अभी तक निकला नहीं? कितनी देर हो गई है, भूख से जान निकली जा रही है।”

मधु (हंसते हुए):
“अरे मेरी प्यारी चाँदनी, ऐसा करो, एक बार टीवी पर ‘स्पेस चैनल’ देख लो, वहाँ जरूर कोई चाँद दिखा देंगे। वैसे भी, हम तो चाँद के इतने करीब रहते हैं, फिर तुम्हें भूख क्यों लग रही है?”

सौम्या (गुस्से को दबाते हुए):
“बहुत मजाकिया हो गए हो तुम! मैं दिन भर से भूखी हूं, और तुम यहाँ मजाक उड़ा रहे हो। करवा चौथ का मतलब तुम्हें समझ में भी आता है?”

मधु (मुस्कुराते हुए):
“समझता हूँ समझता हूँ। एक ऐसा दिन, जब तुम मुझे चाँद समझकर सारी श्रद्धा मुझ पर लुटाती हो और मैं… चाँद के निकलने का इंतजार करते हुए अपनी ‘आजादी’ की सांसे गिनता हूँ।”

सौम्या (थोड़ा चिढ़कर):
“वाह, बहुत अच्छे! तो अब मेरी श्रद्धा भी तंग करने वाली लगने लगी?”

मधु (हंसते हुए):
“नहीं रे, श्रद्धा तो तुम्हारी बेशुमार है। बस, मैं सोच रहा हूँ कि अगर साल में एक दिन तुम मेरे लिए भूखे रह सकती हो, तो साल के बाकी दिन मैं क्या करता हूँ?”

सौम्या (चिढ़कर):
“ओहो! अब ये मत कहना कि बाकी दिन तुम मेरे लिए व्रत रखते हो!”

मधु (मजाक करते हुए):
“अरे नहीं! मैं तो सोच रहा हूँ कि बाकी दिन तुम ही तो मुझे भूखा मारती हो। न सुबह की चाय, न रात का खाना टाइम पर मिलता है। आज कम से कम इस बहाने थोड़ा राज कर लूँ।”

सौम्या (हंसते हुए):
“देखो, चाँद ना निकला तो तुम्हें तो पूरा हफ्ता भूखा रहना पड़ेगा।”

मधु (झूठा गंभीर होकर):
“अरे बाबा! चाँद की इतनी शिकायत मत करो, वो बेचारा भी सोचेगा कि इतनी प्यारी पत्नी रखने वाले आदमी का पेट तो पहले ही मेरी कसमों से भरा है, अब और क्या खिलाऊं!”

सौम्या (हल्के गुस्से में):
“सुनो, तुम्हारे बिना कुछ कहे भी मैं समझ जाती हूँ कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है। चाँद को दोष देना बंद करो और बाहर जाकर देखो, चाँद निकला कि नहीं।”

मधु (मुस्कुराते हुए):
“अरे, चाँद की चिंता छोड़ो, मैं हूँ ना! वैसे भी, तुमसे बेहतर चाँदनी इस घर में और कहाँ मिल सकती है?”

सौम्या (मुस्कुराते हुए):
“बातें बनानी कोई तुमसे सीखे। पर अब बाहर जाओ और असली चाँद ढूंढो।”

मधु (बाहर जाते हुए):
“ठीक है, जा रहा हूँ, जा रहा हूँ! वैसे, अगर चाँद न मिले तो तुम मुझे ही देख लो, दिन भर से तो मैं भी तुम्हारे लिए ही चमक रहा हूँ।”

(मधु बाहर जाता है और कुछ ही देर में वापस आता है।)

मधु (जोर से):
“चाँद निकल आया! और वो भी पूरा चमचमाता हुआ!”

सौम्या (खुश होकर):
“अच्छा! चलो फिर जल्दी करो, अब तुम्हारा चेहरा देखना है।”

(दोनों बाहर जाते हैं, सौम्या छलनी से चाँद और फिर मधु का चेहरा देखती है।)

सौम्या (मुस्कुराते हुए):
“देखा, मेरे चाँद की रौनक तुम्हारे सामने फीकी पड़ गई!”

मधु (हंसते हुए):
“अरे हाँ, मैं तो कह रहा था कि मुझे देखकर ही तुम्हारा व्रत पूरा हो जाएगा!”

सौम्या (मुस्कुराते हुए):
“हां हां, तुम ही सबसे बड़े हो, अब चलो खाना खाओ।”

मधु (मजाक में):
“अरे! अब तो डर लगने लगा है, इतनी जल्दी क्यों खिला रही हो, क्या फिर से व्रत रखने वाली हो?”

सौम्या (हंसते हुए):
“नहीं, अब तुम्हें लंबा जीना है, और मुझे भी।”

(दोनों हंसते हुए अंदर जाते हैं और एक-दूसरे की हंसी-मजाक भरी बातचीत के साथ करवा चौथ की रात का आनंद लेते हैं।)

(पर्दा गिरता है)

समाप्त
कलम घिसाई
9664404242

Language: Hindi
1 Like · 56 Views

You may also like these posts

Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ लोग ज़िंदगी में
कुछ लोग ज़िंदगी में
Abhishek Rajhans
4677.*पूर्णिका*
4677.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम खुद में घूमते रहे बाहर न आ सके
हम खुद में घूमते रहे बाहर न आ सके
Dr Archana Gupta
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
सात समंदर पार
सात समंदर पार
Kanchan Advaita
🙅महज सवाल🙅
🙅महज सवाल🙅
*प्रणय*
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
कितनी    बेचैनियां    सताती    हैं,
कितनी बेचैनियां सताती हैं,
Dr fauzia Naseem shad
काश तेरी निगाह में
काश तेरी निगाह में
Lekh Raj Chauhan
वफ़ा के बदले हमें वफ़ा न मिला
वफ़ा के बदले हमें वफ़ा न मिला
Keshav kishor Kumar
सिर्फ चुटकुले पढ़े जा रहे कविता के प्रति प्यार कहां है।
सिर्फ चुटकुले पढ़े जा रहे कविता के प्रति प्यार कहां है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
Ravikesh Jha
सुख कखनौ नै पौने छी
सुख कखनौ नै पौने छी
उमा झा
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...
ruby kumari
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
Ravi Prakash
आतें हैं जब साथ सब लोग,
आतें हैं जब साथ सब लोग,
Divakriti
" वेदना "
Dr. Kishan tandon kranti
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
वो ओस की बूंदे और यादें
वो ओस की बूंदे और यादें
Neeraj Agarwal
मैं कल के विषय में नहीं सोचता हूं, जो
मैं कल के विषय में नहीं सोचता हूं, जो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोहे आज के .....
दोहे आज के .....
sushil sarna
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
जंग अभी भी जारी है
जंग अभी भी जारी है
Kirtika Namdev
- माता पिता न करे अपनी औलादो में भेदभाव -
- माता पिता न करे अपनी औलादो में भेदभाव -
bharat gehlot
जय मां ँँशारदे 🙏
जय मां ँँशारदे 🙏
Neelam Sharma
कुसुमित जग की डार...
कुसुमित जग की डार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
पूर्वार्थ
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
Loading...