मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं और मौन से जो कहा ज
इश्क भी बेरोजगारी में होता है साहब,नौकरी लगने के बाद तो रिश्
"विरह गीत"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वर्तमान परिस्थिति - एक चिंतन
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
दिल की बात को जुबान पर लाने से डरते हैं
युग युवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर