Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2024 · 1 min read

नदियां बहती जा रही थी

नदियां बहती जा रही थी
कोई आगे, कोई पीछे
कोई उबड़-खाबड़, पथरीली,
पहाड़ी राहों से
बेचैनी थी, तड़प थी,
अपने प्रियतम सागर
से मिलकर तृप्त
हो जाने की।

2 Likes · 108 Views

You may also like these posts

सजाए हुए हूँ
सजाए हुए हूँ
Shally Vij
*रे इन्सा क्यों करता तकरार* मानव मानव भाई भाई,
*रे इन्सा क्यों करता तकरार* मानव मानव भाई भाई,
Dushyant Kumar
तेरे इश्क में इस कदर गुम हुए
तेरे इश्क में इस कदर गुम हुए
Sunil Suman
चित्र आधारित चौपाई रचना
चित्र आधारित चौपाई रचना
गुमनाम 'बाबा'
"जीवन और मृत्यु"
Dr. Kishan tandon kranti
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
Shweta Soni
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
Neeraj Agarwal
नीव मजबूत नही होती अगर
नीव मजबूत नही होती अगर
Harinarayan Tanha
आज के इस स्वार्थी युग में...
आज के इस स्वार्थी युग में...
Ajit Kumar "Karn"
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
ruby kumari
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
प्रकाश पर्व
प्रकाश पर्व
Sudhir srivastava
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ना जाने कब समझेगा दुनिया को ये बच्चा
ना जाने कब समझेगा दुनिया को ये बच्चा
Dr. Mohit Gupta
#मुख़्तसर_नज़्म-
#मुख़्तसर_नज़्म-
*प्रणय*
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
J88 Okvip
J88 Okvip
J88 Okvip
4436.*पूर्णिका*
4436.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वेदों का काव्यात्मक अनुवाद : एक विलक्षण कार्य।
वेदों का काव्यात्मक अनुवाद : एक विलक्षण कार्य।
श्रीकृष्ण शुक्ल
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुजार दिया जो वक्त
गुजार दिया जो वक्त
Sangeeta Beniwal
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
gurudeenverma198
गंगा मैया
गंगा मैया
Kumud Srivastava
A piece of land can make a person the straw of everyone's ey
A piece of land can make a person the straw of everyone's ey
VINOD CHAUHAN
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
Sanjay ' शून्य'
मेरी मां
मेरी मां
Anop Bhambu
माँ
माँ
Ayushi Verma
*नृत्य करोगे तन्मय होकर, तो भी प्रभु मिल जाएँगे 【हिंदी गजल/ग
*नृत्य करोगे तन्मय होकर, तो भी प्रभु मिल जाएँगे 【हिंदी गजल/ग
Ravi Prakash
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
शिव प्रताप लोधी
तुम्हीच सांगा कसा मी ?
तुम्हीच सांगा कसा मी ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
Loading...