Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2024 · 1 min read

मज़लूम ज़िंदगानी

बहुत सोच कर भी कुछ न कह पाती है ,
इस- क़दर जज़्बातों को दफ़्न किए जाती है ,

ज़ेहन में ख़यालों की आमेज़िश कभी थमती नही ,
चाह कर भी मारिज़ -ए- इज़हार में कभी आती नही,

दिल में एक अजीब सी बेचैनी तारी रहती है ,
ज़ब्ते एहसास ये ज़िंदगी इस- क़दर भारी रहती है ,

जिस्मे कफ़स में कैद वो रूह खुली फ़िज़ा को
तड़पती रह जाती है ,
लाख कोशिश पर भी ज़माने से बग़ावत का
हौसला ना जुटा पाती है ,

इस तरह ज़माने की रिवायत के आगोश में ,
मज़लूम ज़िंदगानी सिसकती रह जाती है ।

100 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

//••• क़ैद में ज़िन्दगी •••//
//••• क़ैद में ज़िन्दगी •••//
Chunnu Lal Gupta
बड़ी अजब है प्रीत की,
बड़ी अजब है प्रीत की,
sushil sarna
.........
.........
शेखर सिंह
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
Phool gufran
Vo yaad bi kiy yaad hai
Vo yaad bi kiy yaad hai
Aisha mohan
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
Bidyadhar Mantry
राम बनो, साकार बनो
राम बनो, साकार बनो
Sanjay ' शून्य'
देखकर प्यारा सवेरा
देखकर प्यारा सवेरा
surenderpal vaidya
मंदिर बनगो रे
मंदिर बनगो रे
Sandeep Pande
चलो दूर हो जाते हैं
चलो दूर हो जाते हैं
Shekhar Chandra Mitra
क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
Niharika Verma
2974.*पूर्णिका*
2974.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हमने तो अपने नगमों में
हमने तो अपने नगमों में
Manoj Shrivastava
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
வாழ்க்கை நாடகம்
வாழ்க்கை நாடகம்
Shyam Sundar Subramanian
"रहमतों के भरोसे"
Dr. Kishan tandon kranti
अक्सर
अक्सर
देवराज यादव
वर्षभर की प्रतीक्षा उपरान्त, दीपावली जब आती है,
वर्षभर की प्रतीक्षा उपरान्त, दीपावली जब आती है,
Manisha Manjari
काग़ज़ पर उतारी जिंदगी
काग़ज़ पर उतारी जिंदगी
Surinder blackpen
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
Jyoti Roshni
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दगा और बफा़
दगा और बफा़
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
सेवा या भ्रष्टाचार
सेवा या भ्रष्टाचार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
असहाय वेदना
असहाय वेदना
Shashi Mahajan
श्वासों का होम
श्वासों का होम
श्रीकृष्ण शुक्ल
गांव का घर
गांव का घर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*हर दिन, हर रस, हर विधा,
*हर दिन, हर रस, हर विधा,
*प्रणय*
Loading...