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4 Aug 2024 · 1 min read

इस जन्म में नामुमकिन है,हम दोनों का मेल प्रिये ! (हास्य कविता)

हास्य कविता

मैं गणित के कठिन प्रश्न सा
तुम हिन्दी सी सरल प्रिये
मैं कठोर पत्थर के जैसा
तुम हो नाज़ुक तरल प्रिये
तुम जैसमिन की ख़ुशबू वाली
मैं सरसों का तेल प्रिये
इस जन्म में नामुमकिन है
हम दोनों का मेल प्रिये

मैं कड़वा करेला के जैसा
तुम हो मीठा फल प्रिये
मैं नागफनी के काँटों जैसा
तुम हो खिलता कमल प्रिये
पढ़ी लिखी तुम एम०ए० पास
मैं मैट्रिक में फेल प्रिये
इस जन्म में नामुमकिन है
हम दोनों का मेल प्रिये

मैं शराब सा कड़वा हूँ
तुम हो मीठा जल प्रिये
मैं हास्य कविता के जैसा
तुम हो मधुर ग़ज़ल प्रिये
मैं लूडो के सीधे चाल सा
तुम शतरंज का खेल प्रिये
इस जन्म में नामुमकिन है
हम दोनों का मेल प्रिये

✍🏻 पियूष राज “पारस”
P92/04/08/2024 12:05 PM

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