Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 1 min read

खुद को समझ सको तो बस है।

खुद को समझ सको तो बस है।

भटक भटक कर थक जाओगे,
चाहत कुछ है कुछ पाओगे,
जो पाया संतोष करो भी,
अपने मन को समझाओगे,
बाहर मरूथल का शासन है,
भीतर का जग सरल सरस है,
खुद को समझ सको तो बस है।

उलझे हुए सभी धागों का,
तेरे मन के बीच सिरा है,
खोज रहा है जो तू बाहर,
मणि वो मन के बीच धरा है,
प्यासा रहना नियति बना ली,
जबकि खुद में ज्योति का रस है,
खुद को समझ सको तो बस है।

कैसे जाना है भीतर ये,
कोई सिखा नहीं पाएगा,
कुछ बातें ऐसी हैं जग में,
कोई बता नहीं पाएगा,
काम बहुत ही दुष्कर है ये,
काम बहुत ये सहज सरस है,
खुद को समझ सको तो बस है।

कुमार कलहंस।

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 127 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kumar Kalhans
View all

You may also like these posts

जन्मदिन की बधाई
जन्मदिन की बधाई
अभिनव मिश्र अदम्य
शीर्षक - तृतीय माँ
शीर्षक - तृतीय माँ
Neeraj Kumar Agarwal
"लहर"
Dr. Kishan tandon kranti
जल संरक्षण
जल संरक्षण
Sudhir srivastava
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
Ravikesh Jha
ज़माना
ज़माना
अखिलेश 'अखिल'
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
अब देश को
अब देश को
*प्रणय प्रभात*
- तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही -
- तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही -
bharat gehlot
“समझा करो”
“समझा करो”
ओसमणी साहू 'ओश'
मैंने खुद की सोच में
मैंने खुद की सोच में
Vaishaligoel
एक कवि की मौत
एक कवि की मौत
Varun Singh Gautam
रहो तुम प्यार से जुड़कर ,
रहो तुम प्यार से जुड़कर ,
DrLakshman Jha Parimal
3434⚘ *पूर्णिका* ⚘
3434⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
हम न होंगे तो ये कहानी बेअसर हो जायेगी,
हम न होंगे तो ये कहानी बेअसर हो जायेगी,
Jyoti Roshni
I love you Mahadev
I love you Mahadev
Arghyadeep Chakraborty
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
Ravi Prakash
बैठे हो क्यों रूठ कर,
बैठे हो क्यों रूठ कर,
sushil sarna
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
Rj Anand Prajapati
The Enemies
The Enemies
Otteri Selvakumar
* भीम लक्ष्य **
* भीम लक्ष्य **
भूरचन्द जयपाल
मैं क्या जानूँ
मैं क्या जानूँ
Shweta Soni
आशा
आशा
Rambali Mishra
प्रेम
प्रेम
राकेश पाठक कठारा
प्रतिभा! ईश्वर से मिलती है, आभारी रहे। ख्याति! समाज से मिलती
प्रतिभा! ईश्वर से मिलती है, आभारी रहे। ख्याति! समाज से मिलती
ललकार भारद्वाज
"की टूटे हुए कांच की तरह चकना चूर हो गया वो
पूर्वार्थ
नही दूसरी चूक
नही दूसरी चूक
RAMESH SHARMA
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
Manisha Manjari
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दर्शन के प्रश्न (Questions of Philosophy)
दर्शन के प्रश्न (Questions of Philosophy)
Acharya Shilak Ram
Loading...