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22 Jul 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
मुख मयंक पर मेघ की, रास करे बौछार ।
केशों से मुक्ता ।गिरे, अधर लगें अंगार ।
नीरज नैना मद भरे , अधर तृषा के तीर –
श्वेत वसन से झाँकता, उसका रूप अपार ।

सुशील सरना

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