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1 Aug 2024 · 1 min read

सूना आँगन

सूना आँगन (दोहे)

सूना आँगन है तभी,होत नहीं गुलजार।
नहीँ सुनाई देत जब,शिशुओं की किलकार।।

मोहक भाव विचार का,जहां नहीं आगाज।
सूने आंगन पर भला,कौन करेगा नाज़??

सजनी बिन सूना लगे,आँगन का हर मोड़।
विरह वेदना नाचती,दीवारों को तोड़।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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