जब तुम छोटी थी

सैकड़ो उलझने थी, दर्द था घुटन थी,
न जीने की चाहत ही थी,
फिर भी बाहों में तुम थी,
इसीलिए मैं खुश थी।
झल्ली थी पागल थी ना मंजिलें
ना ही कोई ख्वाहिशें थी,
लेकिन तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान थी,
इसलिए मैं खुश थी ।।
तुम रूठती थी मैं मनाती थी,
तुम सिखती थी मैं सिखाती थी ।
बस जीवन के सफर में थाम तुम्हारा हाथ,
साथ तेरे ही चल पड़ी थी, इसलिए मैं खुश थी।
जब होती थी थकान ,
देख कर तुम्हारी प्यारी मुस्कान ,
मैं हो जाती थी ऊर्जावान,
खुद पर होता था अभिमान ।
भूलकर सारे दुख दर्द,
होकर तुझमें मगन ,
तेरे साथ खेला करती थी ,
इसीलिए तो मैं खुश थी।।
जब आई तुम गोद में ,
मैं नहीं थी पूरे होश में ।
कांपते थे हाथ मेरे,
कैसे संभालूंगी तुम्हें ?
तेरी हँसी ही रास्ता दिखाती थी,
घबराए मन को ढाढस बंधाती थी,
तेरा निश्छल सा स्नेह देख,
हर ग़म भूल जाया करती थी,
इसलिए तो मैं खुश थी ।
जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं
मिली ❤️❤️