*आ गये हम दर तुम्हारे,दिल चुराने के लिए*
मुझको तुम परियों की रानी लगती हो
* क्यों इस कदर बदल गया सब कुछ*
अपूर्ण नींद एक नशे के समान है ।
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
मां बेटी और बहन, महिलाओं का शश्क्तिकरण ।
*मनु-शतरूपा ने वर पाया (चौपाइयॉं)*
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
मुंशी प्रेमचंद जी.....(को उनके जन्मदिन पर कोटि कोटि नमन)
प्रार्थना- हमें दो ज्ञान प्रभु इतना...